
अयोध्या। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बुधवार रात रामलला का नूतन विग्रह राम जन्मभूमि परिसर में पहुंच गया। जिसे गुरुवार को गर्भगृह में सिंहासन पर स्थापित कराया जाएगा। रामसेवकपुरम से बंद डीसीएम में विग्रह को रखकर राम जन्मभूमि परिसर के गेट नंबर दो से प्रवेश कराया गया। मूर्तिकार अरुण योगीराज के द्वारा तराशी गई 51 इंच की प्रतिमा नीले रंग की है। दो टन वजन वाली प्रतिमा फिलहाल अभी ढकी हुई है।
रामसेवकपुरम से पहले विवेक सृष्टि से प्रतिमा लेकर बुधवार शाम कड़ी सुरक्षा के बीच निकला डीसीएम धर्म पथ, रामपथ और भक्ति पथ से होता हुआ हनुमान गढ़ी मंदिर पहुंचा। इसके बाद दशरथ महल के रास्ते रंगमहल से होते हुए जन्मभूमि परिसर के गेट पर पहुंचा। जगह-जगह पर श्रद्धालु स्वागत में जय श्रीराम के जयकारे लगा रहे थे। यात्रा में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित वैदिक आचार्य की टीम शामिल रही। इस दौरान सुरक्षा के लिए एटीएस, पीएससी, सिविल पुलिस के साथ बख्तर बंद वाहन भी शामिल रहे। विग्रह के परिसर में पहुंचने से पहले ड्रोन से निगरानी कराई गई और जिन-जिन मार्गों से होकर विग्रह गुजरा, उनको पूरी तरह खाली करा दिया गया।
कलश लेकर पहुंचे यजमान
महोत्सव के अंतर्गत चल रहे अनुष्ठान में दूसरे दिन बुधवार को सबसे पहले ट्रस्ट के सदस्य और मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा ने अपनी पत्नी के साथ सरयू तट के किनारे मां सरयू का पूजन-अर्चन किया। उसके बाद कलश लेकर अनिल मिश्रा सभी वैदिक विद्वानों के साथ राम जन्मभूमि परिसर पहुंचे।
रजत प्रतिमा का कराया भ्रमण, सिंहासन पूजा भी हुई
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत श्रीराम की रजत प्रतिमा को पालकी में विराजमान कर मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा ने जन्मभूमि परिसर का भ्रमण कराया। काशी से आई विद्वत मंडली के सदस्य वैदिक मंत्रोच्चार करते हुए साथ चलते रहे। इस दौरान रजत प्रतिमा पर पुष्प वर्षा की गई। पूरे परिसर में जगह-जगह पर सुंदर सजावट भी की गई थी। गर्भगृह में सिंहासन पूजन भी किया गया।
हवन मंडप में स्थापित होगा जल
यजमान डॉ.अनिल मिश्र ने बताया कि दूसरे दिन की पूजा संपन्न हुई। मां सरयू की पूजा-अर्चना की गई। कलश की पूजा अर्चना हुई है। अनुष्ठान संपन्न करा रहे काशी के विद्वान जय कृष्ण दीक्षित ने बताया कि अनुष्ठान में कलश यात्रा का कार्यक्रम था, लेकिन सुरक्षा कारणों और राम भक्तों की सुविधा को देखते हुए यह आयोजन भव्य रूप से न होकर सूक्ष्म किया गया। कलश पूजन और मां सरयू के पूजन के साथ यह जल ले जाकर हवन मंडप में स्थापित किया जाएगा। 18 जनवरी से आगे के सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे।