रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से फोन पर बात की. दोनों नेताओं ने यूक्रेन की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की. साथ ही यूक्रेन की बिगड़ती हालातों पर भी चर्चा की. पीएमओ ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए संवाद और कूटनीति की अपील को दोहराया. प्रधानमंत्री ने दोनों पक्षों के बीच वार्ता का स्वागत किया और सभी लोगों की मुफ्त और सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के महत्व पर भी जोर दिया. पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मैक्रॉन को संघर्ष वाले क्षेत्रों से भारतीय नागरिकों को निकालने और प्रभावित वाले इलाके के लोगों के लिए दवा सहित तत्काल राहत सामग्री भेजने के भारत के प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी.
French President Emmanuel Macron and Prime Minister Narendra Modi had a telephonic conversation today, details of talks awaited pic.twitter.com/SVnRdvIjQR
— ANI (@ANI) March 1, 2022
भारत ने मंगलवार को टेंट, कंबल, सर्जिकल दस्ताने, सुरक्षात्मक आई गियर, पानी के भंडारण टैंक, स्लीपिंग मैट, तिरपाल और दवाओं समेत दो टन मानवीय सहायता यूक्रेन को भेजी है. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने ये जानकारी दी है. इससे पहले सोमवार को यूक्रेन के अनुरोध पर भारत ने कीव को मानवीय सहायता और मेडिकल सप्लाई भेजने का फैसला किया था. रूस की ओर से किए गए हमले के बाद से यूक्रेन को कई देशों से मदद मिल रही है.
भारतीय नागरिकों ने छोड़ा कीव
वहीं भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि हमारे सब नागरिकों ने कीव छोड़ दिया है. हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक कीव में हमारे और नागरिक नहीं हैं, वहां से हमें किसी ने संपर्क नहीं किया है. भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए बुखारेस्ट और बुडापेस्ट के अलावा अगले 3 दिन में 26 फ्लाइट शेड्यूल हैं. हम जल्दी से जल्दी अपने नागरिकों को संघर्ष क्षेत्र से बाहर निकालेंगे और नवीन शेखरप्पा की बॉडी वापस लाएंगे, हम इसे लेकर लोकल अथॉरिटी के संपर्क में हैं.
पीएम मोदी ने भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए कई देशों से की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. प्रधानमंत्री ने फ्रांस, पोलैंड के राष्ट्रपति और यूरोपीय यूनियन के प्रेसिडेंट से भी बात की है. विदेश सचिव ने बताया कि हमने जब अपनी पहली एडवाइजरी जारी की थी, उस समय यूक्रेन में लगभग 20,000 भारतीय छात्र थे, तब से लगभग 12,000 छात्र यूक्रेन छोड़ चुके हैं. बाकी बचे 40 फीसदी छात्रों में से लगभग आधे संघर्ष क्षेत्र में हैं और आधे यूक्रेन के पश्चिमी बॉर्डर पर पहुंच गए हैं या उसकी तरफ बढ़ रहे हैं. उन्हें भी जल्द वापस लाया जाएगा.