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यूक्रेनी इलाकों पर रूस का ‘अवैध कब्जा’; UN में पास हुआ प्रस्ताव, भारत ने बनाई वोटिंग से दूरी

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा ( UN General Assembly) में उस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसमें यूक्रेन के चार क्षेत्रों (दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया) पर रूस के कब्जे और उसके “अवैध तथाकथित जनमत संग्रह” की निंदा की गई है. साथ ही यह मांग की गई कि मॉस्को अपने कदमों को तत्काल वापस ले. संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से 143 ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और पांच देशों ने इसके विरोध में मत दिया, जबकि भारत समेत 30 से ज्यादा देश अनुपस्थित रहे.

महासभा में यह मतदान रूसी बलों द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर अचानक हमला किए जाने के बाद पारित चार प्रस्तावों में से संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से देश को अब तक का सबसे बड़ा समर्थन है.दूसरी ओर, महासभा में रूस के खिलाफ आए प्रस्ताव पर वोटिंग करने से दूरी बनाए रखने वाले भारत ने यूक्रेन में संघर्ष के बढ़ने पर गहरी चिंता जताई.

वोटिंग से दूर रहे 35 देश

इस प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया था कि यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर रूस के “अवैध कब्जे का प्रयास” अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किसी तरह से वैध नहीं है. 193 सदस्यीय महासभा में 143 ने पक्ष में तो 5 ने विपक्ष में वोट किया जबकि भारत समेत 35 देशों ने वोटिंग में शामिल होने से परहेज किया.

वोटिंग के बारे में देश की राय रखते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, रुचिरा कंबोज ने कहा कि देश का वोटिंग में अनुपस्थित रहने का निर्णय “हमारी सुविचारित राष्ट्रीय स्थिति के अनुरूप है”. उन्होंने यह भी कहा कि “दबाव वाले अन्य मुद्दे” भी चल रहे हैं और उनमें से कुछ को प्रस्ताव में पर्याप्त रूप से जिक्र नहीं किया गया है.

उन्होंने 16 सितंबर को समरकंद में एक बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश का जिक्र करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता. बातचीत और कूटनीति के जरिए शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयास करने के इस दृढ़ संकल्प के साथ, भारत ने वोटिंग से अनुपस्थित रहने का फैसला किया है.”

साथ ही उन्होंने यूक्रेन में युद्ध को जम्मू-कश्मीर की स्थिति से जोड़ने के पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि के प्रयासों को भी खारिज कर दिया, इस टिप्पणी को संयुक्त राष्ट्र महासभा का दुरुपयोग करने का प्रयास बताया.

कूटनीति के जरिए समाधान निकालेंः भारत

यूक्रेन के हालात पर चिंता जताते हुए कंबोज ने कहा कि भारत “यूक्रेन में संघर्ष के लगातार बढ़ने पर चिंतित है, जिसमें नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना और आम लोगों की मौत भी शामिल है. हमने लगातार इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं निकाला जा सकता है.” उन्होंने आगे कहा कि शत्रुता और हिंसा को बढ़ाना किसी के हित में नहीं है. हमने अनुरोध किया है कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत तथा कूटनीति के रास्ते पर तत्काल लौटने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए.

कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा ली गई सदस्यता अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता तथा संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है. उन्होंने कहा, “इन सिद्धांतों को बिना किसी अपवाद के बरकरार रखा जाना चाहिए.”

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, रुचिरा कंबोज ने कहा कि बातचीत ही मतभेदों और विवादों को सुलझाने का एकमात्र जवाब है और शांति स्थापित करने के लिए “हमें कूटनीति के सभी चैनलों को खुला रखना चाहिए.”

यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति को दोहराते हुए काम्बोज ने कहा, “इसलिए, हम ईमानदारी से शांति वार्ता के जल्द फिर से शुरू होने की उम्मीद करते हैं ताकि तत्काल युद्धविराम और संघर्ष खत्म हो सके. भारत तनाव कम करने के उद्देश्य से ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है.”

कंबोज ने अपने संबोधन में इस बात का भी जिक्र किया कि यूक्रेन संकट की वजह से खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ा है, खासकर विकासशील देशों के लिए.

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