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भीमा कोरेगांव हिंसा: प्रो. हनी बाबू की याचिका पर NIA को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2018 भीमा के कोरेगांव हिंसा मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू की नियमित जमानत याचिका पर बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने एनआईए को तीन सप्ताह में अपना जबाव दाखिल करने का निर्देश दिया।

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सितंबर 2023 में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। बाबू की जमानत याचिका में दलील दी गई है कि मामले में मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। इस प्रकार सुनवाई पूरी होने में काफी समय लगेगा, क्योंकि एनआईए ने 30,000 से अधिक पृष्ठों के साक्ष्य के लिए 200 से अधिक गवाहों की जांच करने की योजना बनाई है।

उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह कथित आतंकवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) के एक बड़े उद्देश्य के लिए वृहद स्तर पर लामबंदी, पार्टी निर्माण और शहरों के विश्लेषण करने के काम में शामिल था। बाबू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की साजिश रचने में शामिल होने के आरोप में जुलाई 2020 में गिरफ्तार किया गया था।

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