नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को निर्देश दिया कि वह स्नातक स्तर के मेडिकल एवं अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पांच मई को अपनी ओर से आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) 2024 के सभी परीक्षा केंद्रों के अलग-अलग परिणाम बिना संबंधित विद्यार्थियों की पहचान उजागर किए शनिवार दिन के 12 तक घोषित कर दे। शीर्ष अदालत अगली सुनवाई सोमवार को करेगी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बड़े पैमाने पर कथित कदाचार और अन्य अनियमितताओं के कारण नीट-यूजी 2024 रद्द कर दोबारा परीक्षा कराने की मांग समेत अन्य याचिकाओं पर संबंधित पक्षों की घंटों दलीलें सुनने के बाद यह निर्देश दिया। अदालत ने याचिकाकर्ताओं, एनटीए और केंद्र सरकार की दलीलें विस्तारपूर्वक सुनीं।
पीठ ने कहा, “नहीं, अभी नहीं। हम सोमवार 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेंगे, क्योंकि काउंसलिंग 24 जुलाई या तीसरे सप्ताह में है और यह एक महीने या उससे अधिक समय तक चल सकती है।” न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की पीठ ने नीट यूजी आयोजित करने वाली संस्था एनटीए से शुरू में कहा कि वह शुक्रवार शाम पांच बजे तक परीक्षा परिणाम अपने वेबसाइट पर अपलोड कर दे। इसके बाद एनटीए के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि परीक्षा परिणाम घोषित करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए।
अदालत ने उनकी यह अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि परीक्षा परिणाम शनिवार दिन के 12 बजे तक अपलोड कर दिए जाएं। शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को इस मामले की सुनवाई 18 जुलाई के लिए टाल दी थी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख मुकर्रर करते हुए कहा था कि उसके (पीठ) के अलावा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने अभी (11 जुलाई) तक केंद्र सरकार और परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्था राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा 10 जुलाई को दायर अतिरिक्त हलफनामे पर गौर नहीं किया है। इसलिए इस मामले को 18 जुलाई के लिए स्थगित की जाती है।
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में अदालत को यह भी जानकारी दी कि नीट यूजी 2024 के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू होगी। काउंसलिंग चार राउंड में आयोजित की जाएगी। पीठ ने पिछली सुनवाई 8 जुलाई को केंद्र सरकार और एनटीए को आरोपों से संबंधित जवाब हलफनामा के जरिए अदालत में 10 जुलाई को दायर करने का निर्देश दिया था। अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भी जांच से संबंधित प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। सीबीआई ने उसका पालन करते हुए रिपोर्ट तैयार कर दी है।शीर्ष अदालत ने आठ जुलाई को कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि परीक्षा की पवित्रता से समझौता किया गया है। अदालत ने यह भी कहा था कि अगर धोखाधड़ी के लाभार्थियों और बेदाग उम्मीदवारों के बीच अंतर संभव नहीं तो फिर से परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक हलफनामा दाखिल कर शीर्ष अदालत को बताया था कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास द्वारा किए गए नीट यूजी 2024 के आंकड़ों के तकनीकी विश्लेषण से न तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के कोई संकेत मिले, और न ही असामान्य अंकों से लाभान्वित होने वाले उम्मीदवारों का कोई स्थानीय समूह है। हलफनामा में कहा गया है कि विश्लेषण से पता चला कि परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों में कुल मिलाकर 550 से 720 की सीमा में वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि शहरों और केंद्रों में देखी गई है।
इसकी वजह पाठ्यक्रम में 25 फीसदी की कमी को जाता है।केंद्र सरकार के जवाब में कहा गया है कि उच्च अंक प्राप्त करने वाले ऐसे कई उम्मीदवार विभिन्न शहरों से आते हैं। यह स्थिति कदाचार की बहुत कम संभावना को दर्शाता है। एनटीए ने अपने अलग हलफनामे में कहा कि आज (10 जुलाई) की तारीख तक 16 प्राथमिकियां (एफआईआर) दर्ज की गई हैं, जिनमें से 14 उसकी शिकायत पर, जबकि पटना और गोधरा पुलिस ने अपनी सूचना के आधार पर अलग अलग मुकदमा दर्ज किया है। एनटीए ने मई में प्रश्नपत्र सार्वजनिक होने के आरोप लगाने वाले टेलीग्राम वीडियो के संबंध में कहा था कि पहले प्रश्न पत्र सार्वजनिक होने की झूठी धारणा बनाने के लिए वीडियो से छेड़छाड़ की गई थी।
एनटीए ने यह भी बताया था कि सोशल मीडिया पर टिप्पणियों और चर्चाओं ने वहां के दावे की मनगढ़ंत प्रकृति को सामने लाया। शीर्ष अदालत ने 8 जुलाई को केंद्र सरकार और एनटीए से नीट यूजी परीक्षा के प्रश्न पत्र सार्वजनिक होने के दायरे के बारे में जानकारी देने और सार्वजनिक होने तथा 5 मई, 2024 को परीक्षा आयोजित होने के बीच के समय अंतराल के बारे में भी जानकारी देने को कहा था।