
दक्षिण भारत की मशहूर मिठाई मैसूर पाक को लेकर नया विवाद सामने आया है। मिठाई का नाम बदलने की अटकलों पर शाही रसोइये के पोते ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे सांस्कृतिक विरासत और पारिवारिक परंपरा पर आघात बताया है।
मैसूर पाक को सबसे पहले मैसूर साम्राज्य की शाही रसोई में तैयार किया गया था। इस मिठाई के आविष्कार का श्रेय काका शेट्टू को दिया जाता है, जो मैसूर के महाराजा के लिए रसोई में काम करते थे। उनके पोते का कहना है कि इस मिठाई का नाम सिर्फ एक डिश नहीं, बल्कि ऐतिहासिक सम्मान और परंपरा का प्रतीक है। शाही रसोइये के पोते ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैसूर पाक सिर्फ एक मिठाई नहीं है, यह एक विरासत है जो हमारे परिवार और कर्नाटक की संस्कृति से जुड़ी है। इसका नाम बदलना हमारी जड़ों से कटने जैसा होगा।”
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नाम बदलने को लेकर कुछ संगठनों द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि ‘मैसूर’ नाम उपनिवेशकालीन और पुराने सामंती प्रतीकों से जुड़ा है, और अब इसे ‘कर्नाटक पाक’ या किसी नए नाम से पुकारा जाना चाहिए। हालांकि, परंपरा प्रेमियों और स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मिठाई अपनी पहचान में ही ऐतिहासिक है।
सोशल मीडिया पर भी इस विषय पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई यूज़र्स ने इसे ‘मूल पहचान को मिटाने की कोशिश’ बताया है। वहीं, कुछ लोग बदलाव को समय की मांग कह रहे हैं।मैसूर पाक को लेकर चल रही बहस सिर्फ एक नाम की नहीं, बल्कि परंपरा बनाम परिवर्तन की है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कर्नाटक सरकार या संबंधित संस्थाएं इस पर क्या रुख अपनाती हैं।