संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर पैनल के गठन समेत किसानों से किए गए वादों पर केंद्र की अब तक की प्रगति की समीक्षा करने के लिए सोमवार को दिल्ली में बैठक करेगा. बैठक में भावी कार्ययोजना तय की जाएगी. दिल्ली में दीन दयाल मार्ग पर गांधी पीस फाउंडेशन में सुबह दस बजे बंद कमरे में यह बैठक होगी. एसकेएम ने केंद्र के तीन कृषिक कानूनों (Farm Laws) के विरूद्ध सालभर आंदेालन चलाया था. जब सरकार ने इन विवादास्पद कानूनों को निरस्त कर दिया और अन्य छह मांगों पर विचार करने पर सहमत हो गयी तब नौ दिसंबर को यह आंदोलन निलंबित किया गया.
एसकेएम के एक नेता के अनुसार मोर्चा से जुड़े सभी किसान संघों के नेता इस बैठक में हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने के वास्ते सरकार पर दबाव बनाने के लिए रोडमैप तय किया जाएगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को गांरटी दी जाए और अन्य मांगें पूरी की जाएं’ विश्लेषकों का कहना है कि एसकेएम के सामने एक कठिन कार्य है, समूह के निर्णय लेने वाले पैनल के एक सदस्य ने कहा कि किसानों के लक्ष्य केवल एक चुनाव के बारे में नहीं थे, हालांकि इसने उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए प्रचार किया था.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी पर किसानों के विरोध का कोई बड़ा असर नहीं दिखाई दिया है. उसने आराम से फिर चुनाव जीत लिया, लेकिन राज्य के चार पश्चिमी जिलों में असर दिखाई दिया. कहा जाता है कि भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में चुनाव राष्ट्रीय राजनीतिक प्रवृत्तियों को प्रभावित करते हैं. किसान संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता और आंदोलन के प्रमुख चेहरे राकेश टिकैत ने रविवार को कहा, ‘जो भी पार्टी सत्ता में है, हमारी मांगें पूरी होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. मैं यूपी चुनाव के बारे में बात नहीं करना चाहता. सब खत्म हो गया, लेकिन शत-प्रतिशत आंदोलन जारी रहेगा. मैं एसकेएम के साथ हूं.’
केंद्र ने पिछले साल दिसंबर में कानूनों को कर दिया था रद्द
किसान अभी एक ऐसा कानून चाहते हैं जो उनकी आय की रक्षा के लिए प्रमुख कृषि उपज के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता हो. कई राज्यों में फैला 2021 का किसान आंदोलन दशकों में सबसे बड़े कृषि प्रदर्शनों में से एक था. उनकी प्रमुख मांग यह थी कि नरेंद्र मोदी सरकार तीन संघीय कृषि कानूनों को वापस ले. असंतोष का सामना करते हुए केंद्र ने अंततः दिसंबर 2021 में कानूनों को रद्द कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी और कहा था कि हम कुछ लोगों को समझाने में असफल हुए हैं.