
वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने अस्थायी आदेशों के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट की है। केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि संसद द्वारा पारित इस विधेयक पर अस्थायी आदेश पारित करने से पहले सरकार को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श किया है और इसे लागू करने से पहले न्यायालय की अनुमति आवश्यक है।
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सात दिनों के भीतर याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 5 मई, 2025 को निर्धारित की गई है। इस बीच, न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वक्फ बोर्डों और काउंसिलों में किसी भी प्रकार की नियुक्ति नहीं की जाएगी और वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
इस मामले में कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस संशोधन अधिनियम को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप और भेदभावपूर्ण करार दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए आवश्यक है।