
नई दिल्ली। विश्व बैंक ने जी20 सम्मेलन के लिए तैयार अपने दस्तावेज में वित्तीय समावेशन के लिए आधार क्रमांक और यूपीआई सहित डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) की ताकत को बढ़ावा देने में भारत के प्रयासों की तारीफ की है। वैश्विक बहुपक्षीय संस्था विश्व बैंक ने डिजिटल बदलाव को गति तेज करने में देशों की मदद करने में डीपीआई क्षमता की वकालत भी की।
‘डीपीआई के जरिए वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को आगे बढ़ाने के लिए जी20 नीति अनुशंसा’ शीर्षक वाले इस दस्तावेज की प्रस्तावना में कहा गया है कि डीपीआई का प्रभाव समावेशी वित्त के साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थिरता को समर्थन देने में भी होता है। डिजिटल पहचान, अंतर-परिचालनीय भुगतान और डिजिटल क्रेडेंशियल लेजर के साथ मिलकर ‘इंडिया स्टैक’ ने इस नजरिए को आगे बढ़ाया है।
इसने 80 प्रतिशत की उल्लेखनीय वित्तीय समावेशन दर हासिल की है। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे डीपीआई के बगैर हासिल करने में पांच दशक लग जाते। विश्व बैंक ने कहा कि भारत की डिजिटल आईडी प्रणाली आधार, डिजिटल भुगतान प्रणाली यूपीआई, डेटा मंच डिजिलॉकर और अन्य मंच डीपीआई के ऐसे ही उदाहरण हैं।
ये सभी वित्तीय समावेशन की प्रगति में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। इस रिपोर्ट में सिंगापुर की सिंगपास, फिलीपींस की फिलसिस और यूएई की यूएई-पास जैसी डिजिटल पहचान प्रणालियों का उल्लेख भी किया गया।