शहरों के बाद अब गांव और कस्बों को भी बिजली कटौती को लेकर राहत
पिछले 10 दिनों से चली आ रही किल्लत के बाद रविवार को बिजली सप्लाई की स्थिति कुछ बेहतर हुई। 1686 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का प्रबंधन हो जाने से गांवों और कस्बों में जहां बिजली की भारी कटौती की जारी थी, वहां कटौती के घंटे कम कर दिए गए। बिजली की मांग यदि और नहीं बढ़ी तो अगले दो तीन दिन में पावर कारपोरेशन प्रबंधन शिड्यूल के मुताबिक बिजली देने की स्थिति में आ सकता है।
उ.प्र. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज के मुताबिक रविवार को 1886 मेगावाट अतिरिक्त बिजली राज्य को मिली। यह बिजली आगे भी मिलती रहेगी और बिजली का इंतजाम करने के लिए प्रयास जारी हैं। वहीं रविवार को दोपहर दो बजे राज्य में बिजली की अधिकतम मांग 20800 मेगावाट की थी। इस मांग को सेंट्रल सेक्टर से 8800 मेगावाट, उत्पादन निगम से 4300 मेगावाट, संयुक्त उपक्रमों से 400 मेगावाट, सोलर से 1200 मेगावाट, आईपीपी से 5700 मेगावाट और हाइड्रो से 400 मेगावाट मिली बिजली से पूरा किया गया।
कोयले के स्टाक में हुआ सुधार
रविवार को उत्पादन गृहों के कोयले के स्टाक में भी आंशिक सुधार हुआ। पारीछा जहां पर पिछले कुछ दिनों से लगातार एक दिन का स्टाक शेष रहता था, रविवार को दो दिन का स्टाक था। अनपरा पांच दिन, ओबरा तीन दिन व हरदुआगंज उत्पादन गृह के पास चार दिन के कोयले का स्टाक था। बताया जाता है कि स्थिति सामान्य होने में अभी वक्त लगेगा। मांग के मुताबिक करीब 2000 मेगावाट बिजली की उपलब्धता कम है।
हर क्षेत्र में कटौती के घंटे कम किए गए
30 अप्रैल को राज्य में बिजली की अधिकतम मांग 21445 मेगावाट रही। कई दिनों बाद इस दिन गांवों को 12 घंटे बिजली देने में सफलता मिली। इससे पूर्व के दिनों में गांवों को बामुश्किल से नौ घंटे बिजली दी जा रही थी। नगर पंचायतों, बुंदेलखंड, तहसील मुख्यालयों पर भी बिजली सप्लाई के घंटों में सुधार हुआ।
बुंदेलखंड को 16 घंटे, नगर पंचायतों को 17 घंटे और तहसील मुख्यालयों को 16.30 घंटे बिजली दी गई। बता दें कि गांवों को प्रतिदिन 18 घंटे, बुंदेलखंड को 20 घंटे, नगर पंचायतों तथा तहसील मुख्यालयों को 21.30 घंटे बिजली देने का शिड्यूल है। जिला मुख्यालयों और महानगरों में पूर्ववत 24 घंटे बिजली देने का दावा पावर कारपोरेशन प्रबंधन का है।
गांवों-कस्बों में रात की कटौती भी कम की गई
स्थितियों में सुधार के बाद 29 अप्रैल की शाम सात बजे से 30 अप्रैल को सुबह छह बजे के बीच गांवों व कस्बों में बिजली की कटौती कम कर आधे से भी कम पर लाने का काम किया गया। गांवों में रात के समय जो कटौती आठ घंटे तक की जा रही थी उसे कम कर चार घंटे पर ला दिया गया। बुदेलखंड में छह घंटे की जगह महज सवा दो घंटे, नगर पंचायतों में पांच घंटे की जगह तीन घंटे तथा तहसील मुख्यालयों पर साढ़े पांच घंटे की जगह पौने तीन घंटे कटौती गई।