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मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार की वायबिलिटी गैप फण्डिंग (वी0जी0एफ0) योजना की सब-स्कीम-2 के अन्तर्गत प्रदेश के 06 असेवित जनपदों-बागपत, मैनपुरी, हाथरस, कासगंज, महोबा एवं हमीरपुर में मेडिकल काॅलेजों की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में प्राईवेट पार्टनर के चयन के लिए मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित ‘कमेटी ऑफ सेक्रेट्रीज’ की 28 मार्च, 2023 को सम्पन्न बैठक में अनुमोदित बिडिंग दस्तावेजों (आर0एफ0पी0 एवं ड्राॅफ्ट कन्सेशन एग्रीमेंट) को अनुमोदन प्रदान कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि सरकार की प्राथमिकता उन जनपदों में मेडिकल काॅलेज को खोले जाने की है, जहां शासकीय अथवा निजी क्षेत्र के अन्तर्गत कोई भी मेडिकल काॅलेज स्थापित नहीं है। प्रदेश के ऐसे 16 असेवित जनपदों-बागपत, बलिया, भदोही, चित्रकूट, हमीरपुर, हाथरस, कासगंज, महराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मऊ, रामपुर, सम्भल, सन्तकबीरनगर, शामली एवं श्रावस्ती में पी0पी0पी0 (पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप) मोड के अन्तर्गत मेडिकल काॅलेज की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में 17.09.2021 के शासनादेश द्वारा पाॅलिसी निर्गत की गयी है।

वायबिलिटी गैप फण्डिंग (वी0जी0एफ0) योजना के लिए भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निर्देशों में 02 सब-स्कीम (सब-स्कीम-1 व सब-स्कीम-2) का प्राविधान है। सब-स्कीम-2 शिक्षा एवं स्वास्थ्य के डिमाॅन्स्ट्रेशन/पायलट प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त है। इसके अन्तर्गत निजी क्षेत्र को भारत सरकार द्वारा 40 प्रतिशत कैपिटल ग्राण्ट एवं 25 प्रतिशत आॅपरेशनल ग्राण्ट 05 वर्षाें (आॅपरेशनल ग्राण्ट प्रोजेक्ट के काॅमर्शियल आॅपरेशन की तिथि से 05 वर्षाें तक) तक अनुमन्य है। राज्य सरकार द्वारा भी 40 प्रतिशत तक अतिरिक्त कैपिटल ग्राण्ट एवं 25 प्रतिशत ऑपरेशनल ग्राण्ट 05 वर्षाें (आॅपरेशनल ग्राण्ट प्रोजेक्ट के काॅमर्शियल आॅपरेशन की तिथि से 05 वर्षाें तक) तक अनुमन्य किये जाने का प्राविधान है।

उक्त 06 असेवित जनपदों में मेडिकल काॅलेज की स्थापना से जनपद के निवासियों को उत्कृष्ट चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं सुचारु रूप से मिल सकेंगी। इसके अलावा, मेडिकल काॅलेज से सम्बन्धित शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक संवर्ग रोजगार का सृजन होगा।

  • छाता, जनपद मथुरा में आधुनिक इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स की स्थापना का निर्णय
  • इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स के अन्तर्गत 03 हजार टन प्रतिदिन गन्ना

पेराई क्षमता की नई चीनी मिल, 60 हजार लीटर प्रतिदिन एथनाॅल उत्पादन क्षमता की आसवनी तथा लाॅजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) की स्थापना की जाएगी। मंत्रिपरिषद ने जनपद मथुरा में वर्ष 2009 से बन्द छाता की पुरानी चीनी मिल के स्थान पर आधुनिक इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स की स्थापना का निर्णय लिया है। आधुनिक इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स के अन्तर्गत 03 हजार टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की नई चीनी मिल स्थापित की जाएगी, जिसे 4,900 टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता तक विस्तारित किया जा सकेगा।

छाता में इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स स्थापित करते हुए रिफाइण्ड शुगर उत्पादन के साथ, केन जूस/सी-हैवी/बी-हैवी से 60 हजार लीटर प्रतिदिन एथनाॅल उत्पादन क्षमता की आसवनी तथा लाॅजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) की स्थापना भी की जाएगी। चीनी मिल के बाई-प्रोडक्ट्स शीरा, बैगास तथा प्रेसमड का बेहतर उपयोग कर आय के अतिरिक्त स्रोत सृजन से मिल लाभ अर्जित करेगी तथा गन्ना मूल्य भुगतान में सुगमता होगी।

इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स की स्थापना एवं छाता चीनी मिल की पेराई क्षमता के विस्तार से मिल परिसर के निकटवर्ती परिधि (20 किलोमीटर) में आने वाले क्षेत्र के लगभग 50 हजार गन्ना किसान लाभान्वित होंगे। इससे किसानों की आय लगभग दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए गन्ना किसानों के परिवार से जुड़े लगभग 02 लाख सदस्यों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति होगी।

छाता के इण्टीग्रेटेड शुगर कॉम्पलेक्स में चीनी मिल, आसवनी एवं लाजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) की स्थापना से क्षेत्रीय जनता को 1,500 प्रत्यक्ष तथा 6,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होगें। इससे क्षेत्र के लोगों का आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान होगा। साथ ही मिल क्षेत्र में जलपान गृह, भोजनालय, जनरल स्टोर तथा ट्रैक्टर-ट्रक आदि की मरम्मत की वर्कशॉप खुलने लगेंगी जिससे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास सम्भव हो सकेगा। गन्ना विकास के फलस्वरूप अगोला एव पत्ती इत्यादि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगी, जिससे ब्रज क्षेत्र में चारे की समस्या का एक सीमा तक निदान हो सकेगा ।

चीनी मिल की क्षमता बढ़ने से एक पेराई सत्र में लगभग 40-50 लाख कुन्तल गन्ने की पेराई होगी, जिससे मिल क्षेत्र के किसानों के गन्ने की ससमय आपूर्ति सुनिश्चित होगी। अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान से जीवन स्तर में सुधार होगा। छाता चीनी मिल दिल्ली-मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एन0एच0-02 पर मथुरा से 43 कि0मी0 तथा गुरुग्राम से 100 कि0मी0 पर स्थित है। परियोजना के अन्तर्गत आधुनिक तकनीक का ब्वॉयलर, जीरो लिक्विड डिस्चार्ज एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रबन्ध किये जाने से पर्यावरण पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

आसवानी की स्थापना होने से भारत सरकार की नीति के अनुसार एथनॉल बलेंडिंग कार्यक्रम सुगम होगा। इससे क्रूड ऑयल न खरीदने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी। आसवनी के ब्वॉयलर की राख से पोटाश ग्रेन्यूल बनाये जायेगें, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।

छाता इण्टीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अन्तर्गत चीनी मिल तथा आसवनी से उत्पादित होने वाले उत्पादों के विक्रय एवं लाजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) के किराये से राज्य सरकार एवं भारत सरकार को लगभग 1,000 लाख रुपये प्रतिवर्ष का राजस्व प्राप्त होगा।

‘उ0प्र0 टाउनशिप नीति-2023’ स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023’ को स्वीकृति प्रदान कर दी है। निजी निवेश के माध्यम से सुनियोजित नगरीय विकास को प्रोत्साहित करते हुए जन-सामान्य के लिए उचित मूल्य पर आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर गुणवत्ता वाली नागरिक सुविधाओं से युक्त अत्याधुनिक टाउनशिप का विकास करने, बदलते परिवेश में निजी निवेशकर्ताओं को लैण्ड असेम्बली आदि में सहायता एवं बेहतर इन्सेंटिव्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह नीति लागू की जा रही है। यह नीति शासनादेश निर्गत किये जाने की तिथि से प्रभावी होगी। इस नीति के लागू होने के उपरान्त 04 मार्च, 2014 के शासनादेश द्वारा लागू की गयी निजी पूंजी निवेश आधारित इण्टीग्रेटेड टाउनशिप नीति-2014 (लाइसेंस आधारित प्रणाली) अवक्रमित हो जाएगी।

‘उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023’ लागू होने से स्थावर सम्पदा के क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। जन-सामान्य के लिए उचित मूल्य पर आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर गुणवत्ता वाली नागरिक सुविधाओं से युक्त अत्याधुनिक टाउनशिप की सुविधा उपलब्ध होगी। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण नागरिक सुविधाओं से युक्त आधुनिक टाउनशिप के विकास से जन-सामान्य को बेहतर आवासीय सुविधा मिलेगी। नगरों के सुनियोजित विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन में बढ़ोत्तरी होगी।

‘उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023’ के अन्तर्गत ‘टाउनशिप’ का तात्पर्य ऐसी सुनियोजित एवं विकसित टाउनशिप से है, जिसके अन्तर्गत समस्त भौतिक एवं सामाजिक अवस्थापना सुविधाओं सहित रहने, कार्य करने एवं मनोरंजन सुविधाओं का एकीकृत रूप से प्राविधान हो। टाउनशिप के विकास के लिए न्यूनतम 24 मीटर चैड़े मार्ग से सुगम पहुंच की सुविधा, नियमित जल आपूर्ति, स्टाॅर्म वाॅटर ड्रेनेज का निस्तारण एवं ऊर्जा की उपलब्धता होना आवश्यक है। टाउनशिप का विकास सामान्यतः महायोजनाओं के शहरीकरण क्षेत्र के अन्तर्गत तथा प्रदेश के तीव्र गति से विकसित हो रहे अर्बन मास ट्रान्जिट काॅरीडोर्स के साथ एवं ऐसे क्षेत्रों, जहां विकास के नए ग्रोथ सेन्टर्स प्रकट हो रहे हैं, में प्रोत्साहित किया जाएगा।

‘मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना’ के क्रियान्वयन का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने ‘मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना’ के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
‘मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना’ में 18 वर्ष से 60 वर्ष आयु के सूक्ष्म श्रेणी के उद्यमियों द्वारा आवेदन किया जा सकेगा। इस योजना के अन्तर्गत ऐसे सूक्ष्म उद्यमियों को आच्छादित किया जायेगा जो जी0एस0टी0 विभाग के द्वारा संचालित व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना का लाभ पाने के पात्र नहीं हैं।

योजना के अन्तर्गत प्रत्येक वर्गीकृत उद्यमी को निम्नानुसार लाभ देय होगाः

 दुर्घटना के फलस्वरूप मृत्यु होने पर 05 लाख रुपये।
 दुर्घटना के फलस्वरूप स्थायी अपंगता पर 05 लाख रुपये।
 दुर्घटना के फलस्वरूप आंशिक स्थायी अपंगता पर मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा प्रदत्त दिव्यांगता प्रमाण-पत्र में उल्लिखित दिव्यांगता प्रतिशत के अनुसार।

दुर्घटना होने की दशा में पीड़ित के परिवार द्वारा ऑनलाइन व्यवस्था में आवेदन करने के उपरान्त समस्त प्रपत्रों की एक प्रति सम्बन्धित जिले के उपायुक्त उद्योग को प्रस्तुत की जाएगी। पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमी की दुर्घटना होने की दशा में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, उपायुक्त उद्योग से क्लेम धनराशि की संस्तुति प्राप्त होने के उपरान्त, निदेशालय स्तर से उद्यमी के नामित वारिस को बीमा की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से अधिकतम 01 माह में उपलब्ध करा दी जायेगी।

ज्ञातव्य है कि एम0एस0एम0ई0 क्षेत्र प्रदेश के आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रदेश में स्थापित कुल एम0एस0एम0ई0 इकाइयों का लगभग 15 प्रतिशत ही औपचारिक रूप से उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीकृत हैं एवं लगभग 85 प्रतिशत इकाइयां अनौपचारिक रूप में कार्यरत हैं।

उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीयन बाध्यकारी न होने के कारण अधिकांश इकाइयों द्वारा अपना पंजीयन पोर्टल पर नहीं कराया जाता है, जिससे इन इकाइयों के आंकड़े औपचारिक रूप से उपलब्ध नहीं होते हैं। औपचारिक आंकड़ों की उपलब्धता सुगम न होने से जहाँ इस क्षेत्र का आर्थिक योगदान वास्तविक रूप से प्रदर्शित नहीं हो पाता है, वहीं नीति निर्धारण में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। एम0एस0एम0ई0 को प्रोत्साहित करने तथा अपरिहार्य परिस्थितियों में सूक्ष्म उद्यमियों को सहायता प्रदान करने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना’ लागू की जा रही है।

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों के जीर्णाेद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण, निर्माण एवं सुविधाओं हेतु सहयोगी अनुदान के सम्बन्ध में गाइड लाइन्स

मंत्रिपरिषद ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों के जीर्णाेद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण, निर्माण एवं सुविधाओं हेतु सहयोगी अनुदान के सम्बन्ध में संशोधित गाइड लाइन्स निर्धारित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि राज्य सरकार की अनुदान राशि एवं विद्यालय प्रबन्धक/प्रधानाचार्य की मैचिंग राशि जमा कराये जाने हेतु किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में स्वतंत्र खाता खोला जाएगा, जिसका संचालन संस्था के प्रबन्धक, वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय जिला विद्यालय निरीक्षक तथा सम्बन्धित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। प्रस्तावित प्रकरण में भविष्य में किसी संशोधन की आवश्यकता हो तो उसके लिए मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।

ज्ञातव्य है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने हेतु वित्तीय वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक में 100 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। प्रदेश में 900 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालय संचालित हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष के आय-व्ययक में प्राविधानित धनराशि से प्रथम चरण में 50 वर्ष से पूर्व के स्थापित अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की मरम्मत, जीर्णोद्धार एवं आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी हैं।

कार्य योजना की गाइड लाइन्स के अन्तर्गत मुख्यतः छत, फर्श तथा बालक/बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक शौचालय एवं उनकी मरम्मत/पुनर्निर्माण, मल्टीपरपज हॉल आदि कार्य कराये जाने हैं। कार्य योजना के अन्तर्गत प्रबन्ध समिति द्वारा सर्वप्रथम अपनी बैठक कर प्रस्ताव पारित कर निर्णय लिया जायेगा कि कार्यदायी संस्था, सम्बन्धित संस्था (प्रबन्धक एवं प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक संयुक्त रूप से) होगी अथवा कोई शासकीय निर्माण इकाई।

भुगतान की कार्यवाही वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक में प्रश्नगत मानक मद में प्राविधानित 100 करोड़ रुपये की धनराशि को चरणबद्ध तरीके से आवश्यकतानुसार शिक्षा निदेशक (मा0) को अवमुक्त किया जायेगा। सहयोगी धनराशि 50ः50 के स्थान पर अब शासन एवं प्रबन्धतंत्र के मध्य क्रमशः 95ः05 होगी। किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में इस प्रयोजन से खोले गये स्वतंत्र खाते में जिला विद्यालय निरीक्षक, वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ ही साथ प्रबन्धकों की सहभागिता भी सुनिश्चित की गयी है। शिक्षा निदेशक (मा0) द्वारा स्वीकृत धनराशि जनपदों को 40ः40ः20 के अनुपात में आवंटित की जायेगी, जिसे प्रबन्धक, वित्त एवं लेखाधिकारी तथा जिला विद्यालय निरीक्षक के पद नाम से किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खोले गये संयुक्त खाते द्वारा संचालित किया जायेगा।

प्रदेश के विद्यालयों में समय से कार्य पूर्ण कराये जाने का उत्तरदायित्व शिक्षा निदेशक (मा0) उ0प्र0 का होगा। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता बनाये रखने हेतु 04 स्तरों पर (यथा-नींव भराई, प्लिंथ निर्माण, लिंटेल ढलाई एवं छत की ढलाई के समय) थर्ड पार्टी निरीक्षण/पर्यवेक्षण की भी व्यवस्था की गयी है।

जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकविश्वविद्यालय स्थापित किये जाने हेतु कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के पक्ष में निःशुल्क भूमि हस्तांतरण के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने हेतु कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के पक्ष में तमकुहीराज स्थित कृषि बीज प्रक्षेत्र की कुल 58.97 एकड़ एवं मैत्रेए परियोजना के अन्तर्गत संस्कृति विभाग की कुल 195.82 एकड़ भूमि में से (50 एकड़ भूमि को छोड़ते हुए) अवशेष 145.82 एकड़ सहित कुल 204.79 एकड़ भूमि को निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि कृषि सम्बन्धी नवीन तकनीकी व शोध का लाभ इस क्षेत्र के कृषकों को और सुलभ कराने तथा इन क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को भी अपने प्रवास के निकट कृषि शिक्षा का लाभ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पूर्वांचल के इस क्षेत्र में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुशीनगर स्थापित किये जाने का निर्णय लिया है। इस नवीन विश्वविद्यालय से 10 जनपद आच्छादित होंगे, जो कृषि प्रधान एवं पिछड़े क्षेत्रों में आते हैं।

आई0सी0ए0आर0 के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, कुशीनगर तथा मसाला शोध फार्म की कुल 185.75 एकड़ भूमि के सम्बन्ध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारत सरकार से सहमति प्राप्त होने के उपरान्त विश्वविद्यालय के पक्ष में भूमि हस्तान्तरण की कार्यवाही की जायेगी। भविष्य में कृषि विश्वविद्यालय की आवश्यकता के दृष्टिगत अन्य विभागों से भूमि प्राप्त करने की कार्यवाही यथा समय की जायेगी।

जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने हेतु चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक में 50 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान किया गया है। प्रश्नगत परियोजना में प्रशासनिक भवन, छात्रावास, शोध हेतु प्रयोगशाला तथा अन्य अवस्थापना सुविधाओं हेतु न्यूनतम 750 करोड़ रुपये का व्यय भार अनुमानित है।

जनपद कौशाम्बी में ‘इण्डो-इजराइल सेन्टर आॅफ एक्सीलेंस फाॅर फ्रूट’की स्थापना हेतु ग्राम कोखराज, तहसील सिराथू में कृषि विभाग की 09 हे0 भूमि उद्यान विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित कराये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा जनपद कौशाम्बी के लिए स्वीकृत ‘इण्डो-इजराइल सेन्टर आॅफ एक्सीलेंस फाॅर फ्रूट’ की स्थापना हेतु ग्राम कोखराज, तहसील सिराथू, जनपद कौशाम्बी में कृषि विभाग, उ0प्र0 के स्वामित्व की आराजी/गाटा संख्या-2099 में उपलब्ध कुल भूमि 11.573 हेक्टेयर में से मात्र 09 हेक्टेयर भूमि उद्यान विभाग, उ0प्र0 के नाम निःशुल्क हस्तांतरित कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

जनपद कौशाम्बी में ‘इण्डो-इजराइल सेन्टर आॅफ एक्सीलेंस फाॅर फ्रूट’ की स्थापना के लिए 651.64 लाख रुपये स्वीकृत किये गये हैं। इसमें 390.984 लाख रुपये केन्द्रांश तथा 260.656 लाख रुपये राज्यांश सम्मिलित है। जनपद कौशाम्बी में अमरूद के उत्पादन का बड़ा क्षेत्र स्थित है। प्रयागराज मण्डल में मुख्य रूप से आम, अमरूद, आंवला के फल पट्टी क्षेत्र हैं तथा टिश्यू कल्चर केले की खेती भी व्यापक पैमाने पर की जाती है। वर्तमान में इन फसलों के पौध परम्परागत तरीके से तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

नवीन तकनीकी से विभिन्न प्रजाति के फल पौध उत्पादित कर जनपद कौशाम्बी सहित आसपास के जनपदों के किसानों को उपलब्ध कराने, उन्हें नवीनतम तकनीकी विधाओं से परिचित कराने तथा प्रदर्शन के माध्यम से कृषकों को जागरूक करने के उद्देश्य से ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ योजना के अन्तर्गत सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेंस फाॅर फ्रूट की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इसकी स्थापना से प्रतिवर्ष नवीनतम तकनीकी के माध्यम से रोगमुक्त उच्च गुणवत्ता के लगभग 50 हजार फलदार पौधे उत्पादित होंगे, जो कृषकों को लागत मूल्य पर उपलब्ध कराये जाएंगे। ‘इण्डो-इजराइल सेन्टर आॅफ एक्सीलेंस फाॅर फ्रूट’ में हाईटेक नर्सरी, पाॅली हाउस, नेट हाउस, प्रदर्शन ब्लाॅक आदि की व्यवस्था होगी।
उ0प्र0 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज का नाम परिवर्तित कर डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज का नाम परिवर्तित कर डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। नाम परिवर्तन हेतु मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के आलेख्य को भी अनुमोदित कर दिया है।
जनपद आगरा एवं मथुरा में पी0पी0पी0 मोड पर निजी निवेशकों के माध्यम से हेलीपोर्ट को विकसित एवं संचालित कराये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने आर0एफ0क्यू0, आर0एफ0पी0 एवं काॅरिजेण्डम्स में उल्लिखित नियमों एवं शर्ताें के अनुसार जनपद आगरा एवं मथुरा स्थित हेलीपोर्ट को सार्वजनिक निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) मोड पर विकसित व संचालित कराये जाने हेतु मेसर्स राजस एयरोस्पोटर््स एवं एडवेंचर्स प्राईवेट लिमिटेड को धनराशि 25,00,005 रुपये (पच्चीस लाख पांच रुपये मात्र) प्रतिवर्ष (अनुबन्ध के अनुसार वृद्धि के साथ) की दर पर लीज पर दिये जाने के साथ ही लेटर आॅफ अवाॅर्ड एवं चयनित फर्म तथा पर्यटन विभाग के मध्य अनुबन्ध किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रकरण में आवश्यकतानुसा अग्रेतर निर्णय लिये जाने हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि विभागीय कन्सल्टेन्सी फर्म मेसर्स के0पी0एम0जी0 द्वारा उपरोक्त दोनों हेलीपोटर््स के फाइनेंशियल माॅडल के आधार पर आकलित की गयी फ्लोर बेस प्राइस धनराशि 13,50,000 रुपये (तेरह लाख पच्चास हजार रुपये मात्र) के सापेक्ष मेसर्स राजस एयरोस्पोटर््स एवं एडवेंचर्स प्राईवेट लिमिटेड द्वारा धनराशि 25,00,005 रुपये (पच्चीस लाख पांच रुपये मात्र) का वित्तीय प्रस्ताव ई-निविदा के माध्यम से उपलब्ध कराया गया, जो कि निर्धारित फ्लोर बेस प्राइस से 85.20 प्रतिशत अधिक है।
उपरोक्त हेलीपोटर््स को पी0पी0पी0 मोड पर संचालित कराये जाने हेतु लीज पर दिये जाने के प्रमुख नियमों एवं शर्ताें के अन्तर्गत चयनित विकासकर्ता द्वारा अनुबन्ध निष्पादित किये जाने के पूर्व अपफ्रण्ट प्रीमियम (एक बार देय) की धनराशि 2,03,84,000 रुपये (दो करोड़ तीन लाख चैरासी हजार रुपये मात्र) देय होगी। उक्त हेलीपोर्ट्स को प्रथमतया 30 वर्षाें की अवधि हेतु लीज पर दिया जाएगा। विकासकर्ता को प्रथम 02 वर्ष विकास कार्य हेतु दिये जाएंगे। अनुबन्ध पुनः आगामी 30 वर्षाें के लिए नवीनीकृत किया जा सकेगा।

ज्ञातव्य है कि पर्यटन के क्षेत्र में हेलीपोर्ट के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए प्रथम चरण में आगरा एवं मथुरा में हेलीपोर्ट के संचालन की पहल की जा रही है। अगले चरण में प्रदेश के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों पर हेलीपोर्ट का संचालन प्राथमिकता के अनुरूप किया जाएगा। इस सुविधा से घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों के आगमन में वृद्धि होगी तथा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित करने हेतु उ0प्र0 जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय अध्यादेश-2023 के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित करने हेतु उत्तर प्रदेश जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय अध्यादेश-2023 के आलेख्य को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने अध्यादेश को प्रतिस्थानीय विधेयक को आगामी विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलाधिपति राघवीयो जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा अपनी दीर्घ आयु तथा सीमित आर्थिक संसाधनों से उक्त विश्वविद्यालय का संचालन न कर पाने के दृष्टिगत, विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित किये जाने हेतु अनुरोध किया गया। तद्नुक्रम में प्रथम चरण में मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के क्रम में

31.01.2023 को राज्य सरकार एवं कुलाधिपति, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के मध्य समझौता ज्ञापन का निष्पादन किया गया।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठापित करने हेतु द्वितीय चरण में उत्तर प्रदेश जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय अध्यादेश-2023 को प्रख्यापित कराये जाने तथा इसके प्रतिस्थानी विधेयक को आगामी विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने का निर्णय लिया गया है। अध्यादेश के गजट में प्रकाशित कराये जाने की दिनांक से जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हो जायेगा। इस निर्णय से राज्य को एक अतिरिक्त दिव्यांग विश्वविद्यालय प्राप्त होगा। इसमें चित्रकूट एवं आस-पास के क्षेत्र के दिव्यांग छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त, सामान्य छात्र-छात्राएं भी अध्ययन कर सकेंगे। इससे इन विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा सुलभ होगी, फलस्वरूप उनका सर्वांगीण विकास सम्भव हो सकेगा।

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