केंद्र सरकार की ओर से आज शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम के विलय संबंधी विधेयक को लोकसभा में पेश कर दिया गया. इस विधेयक के संसद में पास होने के बाद तीनों नगर निगम मिलकर एक नगर निगम हो जाएगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस हफ्ते मंगलवार को दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय के विधेयक को मंजूरी दे दी थी. 2011 में दिल्ली नगर निगम का बंटवारा किया गया था और अब करीब 11 साल बाद फिर से विलय किया जा रहा है.
दिल्ली नगर निगम (संशोधन विधेयक) के जरिए दिल्ली के तीनों नगर निगमों का आपस में विलय करके उन्हें एक कर दिया जाएगा. 2011 में दिल्ली में तीन नगर निगमों का गठन किया गया था, तब से 2022 तक तीनों की सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है. वहीं, इससे पहले 2007 से 2012 तक भी नगर निगम में भाजपा सत्ता में थी. दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 को आज लोकसभा में पेश कर दिया गया. इस विधेयक को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पेश किया.
250 से अधिक नहीं होगी सदस्य संख्या
इससे पहले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के विलय संबंधी विधेयक के अनुसार, दिल्ली में नगर निगमों के एकीकरण के बाद उनमें सीटों की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी और जब तक विलय कानून के तहत निकाय की पहली बैठक आयोजित नहीं होती तब तक इसके कार्य की देखरेख के लिए एक विशेष अधिकारी को नियुक्त किया जा सकता है.
लोकसभा सदस्यों को बांटे गए दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक में यह भी कहा गया है कि 2011 में तत्कालीन दिल्ली नगर निगम का विभाजन क्षेत्रीय डिवीजनों और राजस्व सृजन क्षमता के मामले में ‘असमान’ था. विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि विलय की गई निकाय में पार्षदों और अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का निर्धारण केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना के माध्यम से करेगी. यह विधेयक आज शुक्रवार को लोकसभा में पेश होने के लिए सूचीबद्ध है.
विधेयक में कहा गया है, ‘निगम की स्थापना के बाद प्रत्येक जनगणना के पूरा होने पर, सीटों की संख्या उस जनगणना में निर्धारित दिल्ली की जनसंख्या के आधार पर होगी और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी.’ विधेयक के प्रावधानों में से एक के अनुसार, विलय किए गए निकाय में सीटों की कुल संख्या ‘‘किसी भी स्थिति में दो सौ पचास (250) से अधिक नहीं होगी.’’
विलय से तेज होगी BJP और AAP के बीच राजनीति
वर्तमान में दिल्ली में तीन निगमों (उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों) में कुल 272 सीटें हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय के विधेयक को मंजूरी दे दी थी. हालांकि माना जा रहा है कि इस कदम से दिल्ली नगर निगम चुनावों से पहले शहर में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच जारी सत्ता का संघर्ष और तेज हो सकती है.
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस फैसले को दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने नगर निकाय चुनावों में देरी करने का ‘तरीका’ बताया, साथ ही यह भी कहा कि नगर निगमों के विलय से चुनाव में उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. AAP ने दावा किया कि दिल्ली की जनता ने शहरी निकाय से भाजपा को बाहर करने का मन बना लिया है. भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के नेताओं का मानना है कि इस विलय से पार्टी को अपनी छवि बदलने और सत्ता विरोधी लहर से निपटने में मदद मिलेगी.