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प्राण प्रतिष्ठा से पहले बीजद ने ढूंढी काट, भाजपा के ‘जय श्री राम’ के मुकाबले ‘जय जगन्नाथ’

पुरी। अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले ही देश भर का माहौल ‘राम मय’ करने के भाजपा के प्रयासों और हिन्दू मतदाताओं के एक बड़े वर्ग के उसके पक्ष में जाने की आशंका को देखते हुए ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) सरकार ‘जय जगन्नाथ’ के रथ के सहारे अपनी कल्याणकारी योजनाओं का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिशों में जुट गई है।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बुधवार को वैदिक मंत्रोचार के बीच पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के गलियारे का लोकार्पण किया और अब अगले एक माह तक इस परियोजना को देखने के लिए राज्य के अलग-अलग हिस्सों से हर दिन लगभग 10,000 लोगों की यात्रा को प्रायोजित करने की योजना राज्य सरकार ने तैयार की है। ओडिशा में इस साल लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

बीजद के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पटनायक के हाथों में 23 से अधिक साल से राज्य की बागडोर है और वह हर उस खतरे से वाकिफ हैं जो प्रतिद्वंद्वियों की ओर से पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा राम मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जरिए क्या करना चाहती है…नवीन बाबू इससे बेखबर नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तुम (भाजपा) करो ‘जय श्री राम’ तो हमारे पास हैं प्रभु जगन्नाथ…जय जगन्नाथ।’’ जगन्नाथ मंदिर गलियारे का विकास बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर किया गया है।

इसके उद्घाटन समारोह में देश के सभी प्रमुख मंदिरों के शीर्ष प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अधिकारियों ने बताया कि अब राज्य के लगभग 10,000 मंदिरों व विभिन्न पूजा स्थलों के जीर्णोद्धार की भी तैयारी है। दिलचस्प बात यह है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जिस तरह का रवैया बाकी विपक्ष का है, वैसा ही यहां जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा प्रकल्प के उद्घाटन पर भारतीय जनता पार्टी का है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने आरोप लगाया है कि परिक्रमा प्रकल्प का उद्घाटन राज्य सरकार द्वारा इस तरह किया जा रहा है जैसे कि यह बीजद का कार्यक्रम हो।

यही कारण है कि भाजपा ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। अगले कुछ माह में प्रस्तावित चुनावों में ‘नवीन बाबू’ के नाम से लोकप्रिय 77 वर्षीय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपने लगातार छठे कार्यकाल के लिए जनादेश हासिल करने चुनाव मैदान में उतरेंगे और उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 146 में से बीजद को 112 सीट, भाजपा को 23 और कांग्रेस को सिर्फ नौ सीट मिली थीं जबकि लोकसभा चुनाव (2019) में बीजद ने 21 में से 12, भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने एक सीट पर कब्जा किया था।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पुरी देश के चार पवित्र धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी मुन्ना पांडा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रभु राम तो सभी के रोम-रोम में बसे हैं लेकिन ओडिशा के लोगों के मन में प्रभु जगन्नाथ का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा, ‘‘बस अंतर यह है कि पुरी में जगन्नाथ मंदिर का गलियारा बना है, अयोध्या में लंबी लड़ाई के बाद राम मंदिर बन रहा है।’’

भाजपा की ओडिशा इकाई के नेता विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारियों के साथ जहां घर-घर जाकर लोगों को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता ‘अक्षत’ के साथ दे रहे हैं वहीं सोशल मीडिया पर वह राम मंदिर आंदोलन और इस दौरान कार सेवकों पर गोली चलाए जाने की घटनाओं से संबंधित वीडियो साझा कर रहे हैं। ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज’ के शोध कार्यक्रम ‘लोकनीति’ के प्रोफेसर और सह-निदेशक प्रोफ़ेसर संजय कुमार ने कहा कि राजनीति में धर्म के बढ़ते प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा देशव्यापी विमर्श खड़ा करने की कोशिश कर रही है और विरोधी पार्टियां अपने-अपने स्तर पर इसकी काट का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा में बीजद धर्म की काट धर्म से कर रही है तो कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियां जातिगत जनगणना के मुद्दे के जरिए यह कोशिश कर रही हैं। मेरे हिसाब से इस मामले में नवीन पटनायक विपक्षी दलों के मुकाबले बेहतर स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।’’

हालांकि कांग्रेस नेता और ओडिशा मामलों के उसके केंद्रीय प्रभारी डॉक्टर अजोय कुमार इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमारे लिए भगवान राम और प्रभु जगन्नाथ दोनों ही आस्था के केंद्र हैं। चुनावी फायदे के लिए भगवान को विषय वस्तु बनाने से बड़ा कोई अधर्म नहीं है। जिस दिन राजनीति ने धर्म की चादर अपने पापों को ढकने के लिए ओढ़ी, वह दिन कलयुग का ही प्रतीक होगा।’’

2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से नवीन पटनायक लगातार यहां सत्ता पर विराजमान हैं। उनकी लगातार जीत का श्रेय उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को दिया जाता है। इनमें सस्ते दर पर इलाज, खाद्यान्न, शिक्षा सहित कई अन्य योजनाएं भी शामिल हैं। कुछ ऐसी योजनाएं भी हैं जिनके तहत लोगों को नकद राशि उपलब्ध कराई जाती है।

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