श्री शनिदेव के जन्मोत्सव पर हुई श्री शनिधाम मन्दिर में भस्म आरती
श्री सिद्ध शक्ति पीठ शनिधाम दिल्ली में बड़ी ही श्रद्धा से महाआरती श्री शनिधाम पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी निजस्वरूपानंदपुरी जी महाराज के सान्निध्य में सम्पन्न हुई।
3 दिवसीय महानुष्ठान शनि जयंती की पूर्व संध्या पर बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमे भजन संध्या, सामाजिक समरसता पर विशाल संत सम्मेलन हुआ। जिसमे हजारों की संख्या में संत और भक्त मौजूद रहे।
संत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए आनंद पीठाधीश्वर पुज्य आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द जी महाराज ने कहा कि शनि देव न्याय के देवता है, जो मनुष्य इनकी पूजा पाठ करेंगा उस पर शनिदेव की कृपादृष्टि बनी रहती है।
इनको कलयुग के देवता भी कहा जाता है। यें सब के कष्ट हरते है और विशेष कर इस मंदिर की महिमा बहुत ज्यादा है। ऐसी मान्यता भी है कि यहां पर जो भी भक्त पूजा पाठ और तेलाभिषेक करता है, उस की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी जितेन्द्रा नंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जैसा मैंने इस स्थान के बारे में सुना था, उससे कई गुना यहा देखने को मिला। यहां आकर एक विशेष शांति का अनुभव होता है और इस स्थान में बहुत शक्ति है।
यहां आने वाले हर भक्त को शांति का अनुभव जरूर होंगा। इस अवसर पर इंडियन आइडिया के फेम् कलाकार श्री सवाई भट्ट ने अपने सुंदर भजनों से समा ही बांध दिया। विषयकर शनिधाम वाले बाबा सुनलो मेरा फसाना पर तो भक्तो को झूमने पर ही मजबूर कर दिया।
वही राजस्थान के गजेंद्र राव और भाई हेमराज गोयल ने एक से बढ़कर एक शनिदेव की महिमा के भजन प्रस्तुत किए। इसके बाद ठीक 12 बजे महाआरती शुरू हुई।
महाआरती पूज्य दाती जी महाराज ने की। महामण्डलेश्वर, महंत, श्रीमहंत और सैकड़ो की संख्या में नागा सन्यासी तन पर भभूत लगाए शनिदेव के नारे लगा रहे थे।
दाती जी महाराज ने दूध, दही, शहद, घी, शकरा और जल से शनिदेव का महाभिषेक किया और 11 हजार लिटर सरसों के तेल से तेलाभिषेक भी किया गया। साथ ही भस्म से भास्माभिषेक कर आरती की गई और भारत में सुख समृद्धि की प्रार्थना की गई।
मंदिर में पूरे दिन दर्शन के लिए शनि भक्तो की लाइने लगी रही और देवाधिदेव शनिदेव का तेलाभिषेक पूजन पूरे दिन चलता रहा। नियमित 5 टाइम आरतियां हुई।
संध्या कालीन 56 भोग के साथ आरती हुई। मंदिर के सभी सेवादारों ने पूरे दिन देश के कौने कौने से पहुचे दर्शनाथियों के लिए शीतल जल, पंखा और कुल्लर की व्यवस्था की और पूरे दिन भंडारे का भी आयोजन किया गया था।