
पुणे में एक मंदिर की पवित्रता भंग होने को लेकर ज़ोरदार बवाल मच गया है। इस घटना ने शहर में धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। स्थानीय लोगों और धार्मिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
इस विवाद में सियासत भी गर्मा गई है। भाजपा ने इस मुद्दे पर नरम रुख अपनाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की नेता सुप्रिया सुले को आड़े हाथों लिया है। पार्टी प्रवक्ताओं और नेताओं ने आरोप लगाया कि सुले ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को नजरअंदाज किया और जानबूझकर विवाद को कमज़ोर करने की कोशिश की।
भाजपा नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल का मामला नहीं, बल्कि यह आस्था और सम्मान से जुड़ा विषय है। उन्होंने सरकार से भी अपील की कि वह इस विषय पर सख्त रुख अपनाए और किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरती जाए। उन्होंने सुप्रिया सुले से इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की भी मांग की।
दूसरी ओर, सुप्रिया सुले ने अपने बचाव में कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती हैं और किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उनका कोई इरादा नहीं था। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की बात कही और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
फिलहाल, पुणे प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है। इलाके में तनाव की स्थिति को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मामला अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र की सियासत का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।