कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी बोले- चुनाव के लिए भगवान राम को रख दिया गया मतपेटी पर, कहा- नहीं बनाना चाहिए धर्मस्थली को राजनीतिक स्थली
नई दिल्ली। चुनाव के लिए भगवान राम को मतपेटी पर रख दिये जाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि धर्मस्थली को राजनीतिक स्थली नहीं बनाया जाना चाहिए और इसी कारण उसने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा नहीं लिया। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने राम मंदिर निर्माण के बारे में राज्यसभा में हुई अल्कालिक चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं जिसके कारण मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ अन्यथा कुछ लोग इसे कभी नहीं बनवाते और इस पर राजनीति करते रहते। उन्होंने कहा कि वह मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पूजा और आराधना करते हैं किंतु वह भगवान राम का ‘व्यापार’ नहीं करते।
उन्होंने आरोप लगाया कि कि जिन्होंने अंग्रेजों की चापलूसी और गुलामी की, वे आज भगवान राम की बात करते हैं। तिवारी ने कहा कि भगवान राम के असली पुजारी महात्मा गांधी थे। उन्होंने कहा कि राम के सबसे बड़े पुजारी गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोड़से की पूजा कौन करता है, यह बात सभी जानते हैं।
उन्होंने सवाल किया कि मंदिर के अपूर्ण रहने के दौरान प्राण प्रतिष्ठा क्यों की गयी? उन्होंने कहा कि मंदिर का जो नक्शा दिखाया जा रहा है, क्या उसके हिसाब से मंदिर पूर्ण हो गया है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि जो लोग मंदिर नहीं जा पाते वह मंदिर के ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं किंतु राम मंदिर को अभी बाहर से प्रणाम नहीं किया जा सकता क्योंकि उस पर ध्वज ही नहीं है।
उन्होंने आसन से कहा कि एक सर्वदलीय समिति भेजकर यह पता लगाना चाहिए कि क्या राम मंदिर मूल जन्म स्थल पर बनाया गया है। उन्होंने कहा कि लोग कह रहे हैं कि राम मंदिर नवंबर-दिसंबर तक बनकर तैयार होना था किंतु नवंबर में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होती तो चुनावी नैया पार नहीं हो पाती।
तिवारी ने कहा कि भगवान राम ने जब यज्ञ किया था तो उन्होंने वहां सीताजी की प्रतिमा रखवायी थी। उन्होंने कहा कि वह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सीताजी को खोजते रहे, वह कहीं नहीं मिलीं। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए भगवान को राम को मतपेटी पर रख दिया, जिसकी वह भर्त्सना करते हैं।
तिवारी ने कहा, ‘‘भगवान राम को वाद-विवाद का विषय नहीं बनायें, विवादित नहीं बनायें। उस धर्मस्थली को राजनीतिक स्थली न बनायें। और इसी लिए हम 22 (जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह मे) को नहीं गये।’’