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धर्मेंद्र प्रधान ने स्कूली पाठ्यक्रम में योग को शामिल करने का दिया सुझाव

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को राष्ट्रीय योग ओलंपियाड- 2022 और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन किया। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार भी उपस्थित थे। राष्ट्रीय योग ओलंपियाड 18 से 20 जून तक शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा शिक्षा के क्षेत्रीय संस्थानों के डिमॉन्सट्रेशन मल्टी पर्पस स्कूलों के लगभग 600 छात्र आगामी राष्ट्रीय योग ओलंपियाड में भाग लेंगे।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा कि योग ने विशेष रूप से कोविड के बाद के समय में परेशानियों को कम करने और लचीलेपन के निर्माण में मानवता की सेवा की है । प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वस्थ विकल्पों को प्रोत्साहित करने और लोगों को एक साथ और भी निकट लाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उपयुक्त तरीके से इस वर्ष की थीम को ‘मानवता के लिए योग’ के रूप में चुना है। उन्होंने आगे कहा कि योग दुनिया को भारत का उपहार है और जब से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को अपनाया है, तब से इसे विश्व स्तर पर प्रचूर लोकप्रियता मिली है। उन्होंने कहा कि योग अच्छे स्वास्थ्य और स्वास्थ्य की खोज में विश्व को एकजुट कर रहा है।

प्रधान ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 छात्रों और शिक्षकों दोनों के शारीरिक और भावनात्मक कल्याण पर विशेष बल देता है। उन्होंने कहा कि खेल-एकीकृत शिक्षा से खेल भावना का विकास होगा और छात्रों को फिटनेस को आजीवन दृष्टिकोण के रूप में अपनाने में मदद मिलेगी। प्रधान ने कहा कि योग स्वास्थ्य, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा का अभिन्न अंग है। उन्होंने एनसीईआरटी को हमारे पाठ्यक्रम में योग के प्राचीन ज्ञान को शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जहां हम एनसीएफ को विकसित करने की प्रक्रिया में हैं, हमें ईसीसीई से 12वीं कक्षा तक योग को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने एनसीईआरटी को स्कूल, ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर योग ओलंपियाड आयोजित करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हर ब्लॉक के स्कूली छात्रों को शामिल करने से योग की विरासत को आगे बढ़ाया जा सकेगा और योग को जीवन शैली बनाने में भी मदद मिलेगी।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सुभाष सरकार ने कहा कि योग को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के एक भाग के रूप में लोकप्रिय बनाना होगा। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य ऐसी शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना है जो नागरिकों को देश को एक समेकित तरीके से देखने की दृष्टि प्रदान करे। उन्होंने यह भी कहा कि योग ओलंपियाड में छात्रों द्वारा आसन, प्राणायाम, क्रिया, ध्यान आदि का प्रदर्शन किया जाएगा, जिससे वे योग के महत्व को प्रायोगिक रूप से समझ सकेंगे। उन्होंने योग के मूल्यों पर फिर से जोर दिया जिसे अब विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है और यह कैसे दुनिया भर में स्थायी जीवन शैली में तेजी लाने में सक्षम होगा।

एनसीईआरटी ने 2016 में राष्ट्रीय योग ओलंपियाड की शुरुआत की थी। कोविड-19 महामारी के दौरान भी, जब पूरी दुनिया ठप हो गई थी, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित करके योग की भावना को जीवित रखा गया था। उस आयोजन में केवी, एनवी के छात्रों और शिक्षा के क्षेत्रीय संस्थानों के डिमॉन्सरट्रेशन मल्टीभ पर्पस स्कूरलों के छात्रों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। एआईसीटीई के उपाध्यक्ष एम.पी. पूनिया, एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी, एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक प्रो. श्रीधर श्रीवास्तव, एनसीईआरटी के सचिव प्रो. प्रत्यूष कुमार मंडल और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों तथा भारत के विभिन्न हिस्सों के छात्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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