
अंडमान सागर में सोमवार सुबह भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.2 मापी गई। भूकंप का केंद्र समुद्र के भीतर था, जिससे जमीन पर ज्यादा कंपन महसूस नहीं हुआ। किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की फिलहाल कोई सूचना नहीं है। प्रशासन ने लोगों से घबराने की बजाय सतर्क रहने की अपील की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सामान्य टेक्टोनिक मूवमेंट का हिस्सा है और फिलहाल किसी बड़े खतरे की आशंका नहीं है।
भूकंप का समय सुबह करीब 6:45 बजे बताया जा रहा है। उस वक्त ज्यादातर लोग अपने घरों में ही थे, जिससे किसी प्रकार की अफरा-तफरी की स्थिति नहीं बनी। हालांकि, कुछ तटीय इलाकों में लोगों ने कंपन महसूस किया और एहतियातन घरों से बाहर निकल आए।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र अंडमान सागर के समुद्र तल के नीचे लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की भूकंपीय गतिविधियाँ क्षेत्र में सामान्य हैं क्योंकि अंडमान-निकोबार क्षेत्र सिस्मिक जोन-5 में आता है, जो भारत के सबसे अधिक भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है।
प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। हालांकि, किसी सुनामी जैसी आपदा की संभावना नहीं जताई गई है। स्थानीय आपदा प्रबंधन इकाइयों को अलर्ट पर रखा गया है और आवश्यक तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस घटना ने एक बार फिर देश में भूकंप से निपटने की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही इस बार कोई नुकसान नहीं हुआ हो, लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन को सिस्मिक जोन वाले इलाकों में बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में गंभीर कदम उठाने चाहिए।
पिछले कुछ महीनों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कई बार हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप दर्ज किए गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से काफी सक्रिय है और यहां नियमित निगरानी एवं समय रहते चेतावनी प्रणाली की जरूरत है।