वोटिंग से पहले ही लालू यादव को लगा जोरदार झटका, कोर्ट ने उनके करीबी सुभाष यादव को चुनाव लड़ने से रोका
पटना हाई कोर्ट ने कल गुरुवार को अपने उस आदेश को वापस ले लिया जिसमें कोर्ट ने पटना के बेउर जेल में बंद बालू कारोबारी और लालू परिवार के करीबी सुभाष यादव को कोडरमा विधानसभा सीट से नामांकन करने की इजाजत दे दी थी। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की एकलपीठ ने सुभाष यादव की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आपत्ति जताई कि ईडी को बगैर पक्षकार बनाए ही याचिका दायर की गई है। अपने ही आदेश को वापस लेते हुए कोर्ट ने कहा कि 22 अक्टूबर का आदेश इस मामले में पक्षकार ईडी को सुने बिना ही पारित किया गया है, इसलिए आदेश को वापस लिया जाता है।
कोर्ट ने दिया था ये आदेश
आरजेडी की तरफ से सुभाष यादव को कोडरमा सीट से उम्मीदवार बनाये जाने के बाद जेल में बंद सुभाष यादव ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर नामांकन करने की अनुमति मांगी थी। सुभाष यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने 22 अक्टूबर को सुभाष यादव को नामांकन करने के लिए कोडरमा के निर्वाची अधिकारी के समक्ष पेश करने का आदेश पुलिस को दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता अपने खर्च पर नामांकन के लिए पटना के बेऊर जेल से कोडरमा जाएगा। इस आदेश के बाद कल गुरुवार को हथकड़ी पहने सुभाष यादव ने कोडरमा जाकर नामांकन किया और हथकड़ी पहने हुए ही तेजस्वी यादव के साथ एक सभा में भी शामिल हुए। हालांकि नॉमिनेशन के समय उनके हाथ में हथकड़ी नहीं दिखी थी। विरोधी सुभाष यादव के सभा में शामिल होने पर भी सवाल उठा रहे हैं।
ईडी दायर की अर्जी
दरअसल नामांकन की इजाजत के फैसले के बाद राज्य सरकार और ED ने कोर्ट में अर्जी दायर कर हाई कोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता सुभाष यादव ईडी के केस में गिरफ्तार है और बगैर ईडी को पक्षकार बनाए ही कोर्ट से नामांकन करने के लिए आदेश ले लिया गया है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कल कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को वापस लेते हुए आवेदक को ईडी को पक्षकार बनाने का आदेश दिया है। लालू के करीबी सुभाष यादव के घर समेत कई दूसरे ठिकानों पर इसी साल 9 मार्च को ED ने अवैध बालू के कारोबार के आरोप में छापेमारी की थी। रेड में आवास से 2 करोड़ रूपये मिले थे, दिनभर की छापेमारी के बाद ED ने देर रात सुभाष यादव को गिरफ्तार कर लिया था।
जदयू नेता ने साधा निशाना
ED ने सुभाष यादव के 6 ठिकानों पर 14 घंटे छापेमारी की थी। उनपर अवैध बालू कारोबार से जुड़े मामले में ये कार्रवाई हुई थी। सुभाष यादव ब्रॉडसन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर हैं और लालू यादव के करीबी रहे हैं। सुभाष यादव के चुनाव लड़ने को लेकर बरकरार संशय के बीच उनकी पत्नी ललिता देवी ने कोडरमा से नामांकन पर्चा खरीदा है। अगर आरजेडी प्रत्याशी सुभाष यादव का नामांकन रद्द होता है तो माना जा रहा है कि ऐसी स्थिति में उनकी पत्नी कोडरमा से उम्मीदवार हो सकती हैं। अब सुभाष यादव को टिकट दिए जाने के राजद के फैसले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। जेदयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि तेजस्वी यादव ने नया उदाहरण पेश किया है। पटना की जेल में बैठे व्यक्ति (सुभाष यादव) को कोडरमा से टिकट दे दिया। संसदीय लोकतंत्र के साथ भद्दा मजाक कर दिया। अब जब भी आप सवाल करेंगे तब जनता आपसे सवाल करेगी।