
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में नौकरी विवाद को लेकर आंदोलन कर रहे शिक्षकों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भावुक होकर कहा, “मुझे चाहे जेल हो जाए, लेकिन मैं आपकी नौकरी के लिए आखिरी सांस तक लड़ती रहूंगी।” उनके इस बयान से माहौल भावुक हो गया और शिक्षकों में उम्मीद की किरण जागी।
ममता बनर्जी का यह बयान उस वक्त आया जब शिक्षक नियुक्ति घोटाले और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। विरोध प्रदर्शन कर रहे शिक्षक लंबे समय से न्याय और स्थायी नियुक्तियों की मांग कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार शिक्षकों के हक की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ेगी और किसी भी निर्दोष उम्मीदवार के साथ अन्याय नहीं होने देगी। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक साजिश के तहत कुछ लोगों को फंसाया जा रहा है।
इस बयान के बाद शिक्षकों के बीच एक नई ऊर्जा देखने को मिली। आंदोलनकारी शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया और उम्मीद जताई कि जल्द ही न्याय मिलेगा।
विपक्ष ने हालांकि ममता के बयान को एक राजनीतिक स्टंट करार दिया और कहा कि ये बातें चुनाव से पहले जनता को बहलाने के लिए की जा रही हैं। लेकिन ममता समर्थकों का कहना है कि उनकी लीडरशिप में ही बदलाव संभव है।