आप के राज्यसभा सदस्य विक्रमजीत सिंह साहनी ने गुरुवार को मांग की कि भारत और सिख समुदाय के एकीकरण में उनके योगदान के लिए मास्टर तारा सिंह को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
संसद में बोलते हुए साहनी ने कहा कि वह मास्टर तारा सिंह ही थे, जिन्होंने (मुहम्मद अली) जिन्ना के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और फैसला किया था कि पंजाबी और सिख भारत के साथ रहना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर वह फैसला नहीं लिया गया होता तो पाकिस्तान की सीमा अटारी नहीं, बल्कि गुरुग्राम होती। साहनी ने यह भी बताया कि विभाजन के दौरान सिखों को कैसे नुकसान उठाना पड़ा।
क्योंकि 5 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी, जबकि लाखों पंजाबियों को उखाड़ फेंका गया और उन्होंने अपनी उपजाऊ भूमि और पवित्र मंदिर, गुरु नानक देव के जन्मस्थान को पाकिस्तान में छोड़ दिया।
साहनी ने दोहराया कि सिख सबसे अधिक देशभक्त भारतीय हैं और उन्होंने मातृभूमि के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है और अब भी दे रहे हैं।