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एनसीईआरटी 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराएगा पाठ्य पुस्तकें

शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के तहत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सीबीएसई स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम के अलावा भारतीय भाषा माध्यम के माध्यम से शिक्षण-सीखने की शुरुआत करने के लिए 22 शेड्यूल्ड भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी है।

सीबीएसई के एक आधिकारिक पत्र में शुक्रवार को कहा गया कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा को जमीनी स्तर पर साकार करने के लिए कई उपाय किए हैं। अब उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक शिक्षा मंत्रालय द्वारा 22 शेड्यूल्ड भारतीय भाषाओं में नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करने के लिए एनसीईआरटी को निर्देश देना है। एनसीईआरटी ने इस गंभीर कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया है ताकि अगले सत्र से सभी छात्रों को 22 शेड्यूल्ड भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जा सकें।

इस पहल को कैसे लागू किया जाएगा, यह समझने के लिए दिल्ली में सीबीएसई स्कूलों के कई प्रिंसिपलों से संपर्क किया, द इंडियन स्कूल की प्रिंसिपल तानिया जोशी ने बताया कि सबसे पहले, यह अनिवार्य नहीं है। दूसरा, बदलते स्कूल जनसंख्या पैटर्न के साथ, हमारे लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि अंग्रेजी शिक्षा का एकमात्र माध्यम नहीं है, नयी शिक्षा नीति (एनईपी) भी विशेष रूप से कहती है कि आपको मातृभाषा का उपयोग करना होगा। हमारे पास एक बाल-केंद्रित शिक्षा प्रणाली (चाइल्ड सेंट्रिक एजुकेशन सिस्टम) है। सीखने की प्रक्रिया को सुगम व आसान बनाना एक अच्छी पहल है।

जोशी ने कहा कि शिक्षकों को रिफ्रेशर पाठ्यक्रम लेने की आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिए, राजनीति विज्ञान में ऐसे कई शब्द हैं जिन्हें हम अंग्रेजी में जानते हैं लेकिन हिंदी में नहीं जानते हैं। इसलिए, एक शिक्षक के रूप में, मुझे निश्चित रूप से एक रिफ्रेशर पाठ्यक्रम करना होगा, जिससे मैं पढ़ाने से पहले पाठ्यक्रम को स्वयं समझ सकूँ।

पत्र में आगे कहा गया कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूल, संविधान की अनुसूची 8 में उल्लिखित भारतीय भाषाओं का उपयोग करने पर विचार कर सकते हैं, जो कि फाउंडेशनल स्टेज यानी पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं से बारहवीं कक्षा तक शिक्षा के माध्यम के रूप में, अन्य मौजूदा विकल्पों के अलावा एक वैकल्पिक माध्यम के रूप में है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं और सीबीएसई स्कूलों में बहुभाषी शिक्षा को वास्तविकता बनाने के लिए अन्य स्कूलों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। बिड़ला विद्या निकेतन की प्रिंसिपल मिनाक्षी कुशवाह ने कहा, “ हमें किसी विशेष भाषा में पढ़ाने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है, बल्कि वे बस अपनी किताबें जारी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह कदम आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए फायदेमंद हो सकता है अगर हम उनसे लगातार अंग्रेजी में बात करते हैं तो वे कॉन्सेप्ट को समझने में असहज हो सकते है क्योकि यह भाषा उनके घर पर नहीं बोली जाती है। इसलिए, मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है और स्कूलों को इन बातों पर विचार करना चाहिए। इसे कम से कम प्राथमिक स्तर पर शामिल किया जाना चाहिए। यह दो भाषाओं का एक अच्छा मिश्रण हो सकता है ताकि छात्रों की कॉन्सेप्ट्स स्पष्ट हों और उनमें कौशल और आत्मविश्वास विकसित हो सके।

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