
सरकार द्वारा शुरू की गई नेशनल फैमिली बेनिफिट स्कीम (NFBS) गरीब परिवारों के लिए एक बड़ी राहत बन सकती थी। इस योजना के तहत किसी गरीब परिवार के कमाने वाले सदस्य की मृत्यु हो जाने पर 30,000 रुपये की एकमुश्त आर्थिक सहायता दी जाती है। लेकिन हकीकत ये है कि हजारों परिवार आज भी इस राहत की रकम का इंतज़ार कर रहे हैं।
कई जिलों से आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कीम के लिए पात्र होने के बावजूद लाभार्थियों को फंड ट्रांसफर नहीं हो पाया है। वजह? कागज़ी कार्यवाही में देरी, अपूर्ण दस्तावेज़, पोर्टल पर तकनीकी समस्याएं और जिला स्तर पर लापरवाही। कई मामलों में तो आवेदन महीनों पहले स्वीकृत हो चुके हैं, लेकिन पैसा अब तक खाते में नहीं पहुंचा।
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वहीं कुछ अधिकारियों का कहना है कि योजना के लिए केंद्र से आवंटित बजट समय से नहीं मिला, जिससे अड़चन आई है। लेकिन इसके चलते जो गरीब परिवार अपने एकमात्र कमाने वाले को खो चुके हैं, उनके लिए ये देरी किसी सजा से कम नहीं है।
लाभार्थियों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि योजना को सरल और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि इस तरह की देरी न हो। सरकार को चाहिए कि ज़मीनी स्तर पर निगरानी बढ़ाई जाए और जिन लोगों को योजना का हक़ है, उन्हें तुरंत लाभ मिले।
सरकारी योजनाएं तभी सार्थक होती हैं जब उनका लाभ सही समय पर ज़रूरतमंदों तक पहुंचे। NFBS जैसी योजनाएं संवेदना और सहारा देने के लिए हैं, ना कि आवेदन और इंतज़ार का बोझ बनने के लिए।