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‘डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को मजबूती दे रहा भारत, रक्षा निर्यात में 6 गुणा की हुई वृद्धि’, बजट वेबिनार में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा क्षेत्र पर बजट के बाद वेबिनार को संबोधित कर रहे हैं. रक्षा मंत्रालय से संबंधित केंद्रीय बजट 2022-23 में डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को और ज्यादा मजबूत करने पर जोर दिया गया है. वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में भी और आजादी के तुरंत बाद भी हमारी डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग की ताकत बहुत ज्यादा थी. दूसरे विश्व युद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों में भारत अपने रक्षा क्षेत्र में जिस आत्मनिर्भरता पर बल दे रहा है उसकी प्रतिबद्धता आपको इस साल के बजट में दिखेगी.

पीएम मोदी ने कहा, ‘इस साल के बजट में देश के भीतर रिसर्च, डिजाइन और डवलपमेंट से लेकर मैन्युफेक्चरिंग तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है. रक्षा बजट में लगभग 70 फीसदी सिर्फ घरेलू उद्योग के लिए रखा गया है.’ उन्होंने कहा, ‘भारत की जो IT की ताकत है. वो हमारा बहुत बड़ा सामर्थ्य है. इस ताकत को हम अपने रक्षा क्षेत्र में जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे, उतनी ही सुरक्षा में हम आश्वस्त होंगे. जैसे सायबर सेक्योरिटी अब सिर्फ डिजिटल वर्ल्ड तक सीमित नहीं रह गई है. ये राष्ट्र की सुरक्षा का विषय भी बन चुका है.’

डिफेंस एक्सपोर्ट में हुई वृद्धि

पीएम मोदी ने कहा, ‘जब हम बाहर से अस्त्र-शस्त्र लाते हैं, तो उसकी प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि जब वो हमारे सुरक्षाबलों तक पहुंचते हैं, तब तक उसमें से कई पुराने हो चुके होते हैं. इसका समाधान भी आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया में ही है.’ उन्होंने बताया कि पिछले साल हमने 7 नई डिफेंस पब्लिक अंडरटेकिंग्स का निर्माण किया था. आज ये तेजी से व्यापार का विस्तार कर रही हैं, नए मार्केट में पहुंच रही हैं. ये भी बहुत सुखद है कि बीते 5-6 सालों में डिफेंस एक्सपोर्ट में हमने 6 गुणा वृद्धि की है.’ उन्होंने कहा, ‘मेक इन इंडिया को सरकार के प्रोत्साहन का परिणाम है कि पिछले 7 सालों में रक्षा निर्माण के लिए 350 से भी अधिक नए औद्योगिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं. जबकि 2001 से 2014 के चौदह वर्षों में सिर्फ 200 लाइसेंस जारी हुए थे.’

पीएम ने कहा, ‘ब्रिटिश शासन के दौरान और आजादी के बाद भी हमारी रक्षा निर्माण क्षमता बहुत अधिक थी. वर्ल्ड वॉर-2 में भी भारत में निर्मित हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई थी. हालांकि, बाद के वर्षों में इसकी ताकत कमजोर हो गई. इससे पता चलता है कि भारत में क्षमताओं की कभी कमी नहीं रही.’ उन्होंने कहा, ‘पहले के समय में बाहर की कंपनियों से जो सामान खरीदा जाता था उसमें अक्सर भांति-भांति के आरोप लगते थे. हर खरीदे से विवाद पैदा होता था. अलग-अलग मैन्युफैक्चरर के बीच जो कंपीटिशन होता है, उससे भ्रष्टाचार के दरवाजे भी खुलते हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान से हमें इसके भी समाधान मिलते हैं.

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