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पुलिस को वैज्ञानिक तरीके से मिलना चाहिए जांच करने का प्रशिक्षण, साथ ही देश के ज्यूडिशल सिस्टम में भी सुधार की जरूरत: महेंद्र सिंह मलिक

राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद में पिछले दिनों पुलिस के सामने आधुनिक समय में आ रही चुनौतियों और जवाब देही पर सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश के रिटायर्ड 54 डीजीपी ने हिस्सा लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के डायरेक्टर डीजीपी अमित गर्ग ने की।

बैठक में हरियाणा से पूर्व डीजीपी महेंद्र सिंह मलिक ने भी शिरकत की। सम्मेलन के बारे में बताते हुए महेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि आज बदलते समाज में पुलिस में भी बदलाव की जरूरत है।

पुलिस के सामने सबसे पहली चुनौती कानून व्यवस्था की आती है। सभी राज्यों में अलग-अलग तरीके से काम होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस किसके लिए उत्तरदाई हो। क्योंकि राजनीतिक पार्टियों की सरकारें कई बार गलत आदेश भी दे देती हैं।

ऐसे में सामूहिक तौर पर सदस्यों का कहना था कि पुलिस को रूल आफ लॉ यानी कानून के प्रति ही उत्तरदाई होना चाहिए। चाहे आदेश कुछ भी हो अगर रूलिंग पार्टी गलत आदेश भी दे, तो भी कानून के हिसाब से ही पुलिस अधिकारियों को काम करना चाहिए।

पूर्व डीजीपी महेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि आज पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती क्राइम के नए-नए तरीके और अपराधियों द्वारा आधुनिक हथियार इस्तेमाल करना भी है।

ऐसे में पुलिस को भी समय के हिसाब से बदलना होगा। पुलिस को भी आधुनिक हथियार और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए। अब वह जमाना चला गया जब थर्ड डिग्री टॉर्चर से अपराधी सब कुछ बोल देते थे।

पूर्व डीजीपी ने कहा कि आज इस तरीके से पुलिस जांच में देरी होती है। उसका फायदा अपराधियों को मिलता है। बेल मिलने के बाद अपराधी फिर अपराध करते हैं, जिससे पुलिस की दिक्कतें फिर बढ़ जाती है।

ऐसे में पुलिस को वैज्ञानिक तरीके से जांच करने का प्रशिक्षण मिलना चाहिए। साथ ही देश के ज्यूडिशल सिस्टम में भी सुधार की जरूरत है क्योंकि कई बार अदालतों में सालों बाद फैसला आता है, जिससे ना तो अपराधी को सजा मिलती है और ना ही पीड़ित को न्याय मिलता है।

महेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि सामूहिक तौर पर पुलिस स्टाफ की कमी की बात भी सम्मेलन में उठी थी। राज्यों में पुलिस का संख्या बल काफी कम है और जो लोग पुलिस में भर्ती होते हैं उनका कोई मनोवैज्ञानिक जांच नहीं होती।

जिसके चलते पुलिस में काबिल लोग भर्ती नहीं हो पाते हैं। सेना में भर्ती होने वाले जवानो का मनोवैज्ञानिक जांच कर पता लगाया जाता है कि यह सेवा में भर्ती होने के काबिल है या नही।

महेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि हमारे देश का दुर्भाग्य है कि सभी राज्यों में पुलिस प्रशिक्षण संस्थान है उनमें नियुक्ति खुडेलाइन मानी जाती है।

आमतौर पर जो अधिकारी या कर्मचारी सही तरीके से काम नहीं करते हैं या उनसे कोई गलती हो जाती है या वे सरकार का कहना नहीं मानते, तो भी उन्हें ही तैनाती मिलती है।

ऐसे में यहां तैनात होने वाले अधिकारी पुलिस कर्मियों को कैसे अच्छी ट्रेनिंग दे सकते हैं। पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में बेहतरीन अधिकारियों की नियुक्ति होनी चाहिए।

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