देशबड़ी खबर

उद्धव-राज ठाकरे के साथ आने पर संजय राउत का बड़ा बयान, कहा- ‘कोई अहंकार नहीं’

महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ आने की चर्चा है। इस बीच, शिवसेना-यूबीटी के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित सुलह पर कोई भी कदम उठाने को लेकर वे तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कहा कि उनकी पार्टी आगे या पीछे कदम बढ़ाने के लिए तैयार है और इसमें कोई राजनीतिक अहंकार नहीं है।

मनसे को लेकर राउत का बयान

संजय राउत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी महाराष्ट्र एवं मराठी मानुष के हित और मुंबई पर अपना दावा फिर से सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। राज्यसभा सदस्य ने कहा, “हम आगे या पीछे की ओर कदम उठाने को तैयार हैं। इसमें कोई राजनीतिक अहंकार नहीं है।”

संभावित सुलह पर क्या कहा?

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित सुलह पर कोई भी कदम उठाने को लेकर वे तैयार हैं। संजय राउत ने कहा कि शिवसेना-यूब में कोई राजनीतिक अहंकार नहीं है और पार्टी महाराष्ट्र और मराठी मानुष के हित में हरसंभव प्रयास करने को तैयार है, चाहे वह कदम आगे हो या पीछे। राउत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य मुंबई पर शिवसेना का दावा मजबूत करना और राज्य में मराठी समाज के हितों की रक्षा करना है।

उद्धव के चचेरे भाई हैं राज ठाकरे

राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने इस बात का संकेत देने वाले बयान देकर संभावित सुलह की अटकलों को हवा दे दी है कि वे “छोटे-मोटे मुद्दों” को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटुतापूर्ण मतभेदों के बाद हाथ मिला सकते हैं।

आदित्य ठाकरे की प्रतिक्रिया

मनसे प्रमुख ने कहा है कि मराठी मानुष के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है और उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां किनारे रखने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को तरजीह न दी जाए। शिवसेना-यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी किसी भी ऐसे संगठन के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है जो मुंबई, महाराष्ट्र और मराठी भाषी लोगों के लिए ‘साफ दिल और दिमाग’ से काम करना चाहता है।

ठाकरे ब्रदर्स में तकरार क्यों?

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच राजनीतिक मतभेद मुख्य रूप से शिवसेना में उत्तराधिकार और वर्चस्व की लड़ाई के कारण पैदा हुए। राज ठाकरे को शुरुआत में शिवसेना में बाल ठाकरे के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था, क्योंकि वे भाषण शैली में अपने चाचा के समान थे। हालांकि, 2003 में बाल ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया।

राज ठाकरे ने छोड़ दी थी शिवसेना

बाल ठाकरे के इस फैसले से राज ठाकरे और उनके समर्थकों को बड़ा झटका लगा, जिससे उन्होंने महसूस किया कि उन्हें पार्टी में दरकिनार किया जा रहा है। राज ठाकरे ने दावा किया कि उन्होंने सम्मान मांगा था, लेकिन अपमान मिला। इसके बाद 2005 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया। तब से दोनों भाइयों के राजनीतिक रास्ते अलग हो गए।

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button