
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ‘खून के प्यासे’ कविता को लेकर अहम टिप्पणी की, जिसमें उसने कहा कि इस कविता में हिंसा का कोई संदेश नहीं दिया गया है। यह कविता कांग्रेस सांसद प्रतापगढ़ी द्वारा एक सार्वजनिक मंच पर पढ़ी गई थी, जिसके बाद गुजरात में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। कोर्ट ने इस मामले पर विचार करते हुए FIR को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि कविता में किसी प्रकार का हिंसक या उकसाने वाला संदेश नहीं है।
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इस फैसले से प्रतापगढ़ी को राहत मिली, क्योंकि इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक चर्चा को जन्म दिया था। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, कविता एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति थी और इसे किसी भी प्रकार से हिंसा के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। इस निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में, साहित्यिक या काव्यात्मक रूप से प्रस्तुत विचारों को हिंसा के रूप में नहीं देखा जा सकता।