
मुख्य लेख – दो आदिल, दो रास्ते:
पहलगाम आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में उभरकर सामने आईं दो कहानियाँ न सिर्फ चौंकाती हैं, बल्कि सोचने पर मजबूर कर देती हैं — एक इंसानियत की मिसाल, दूसरा आतंक का चेहरा।
आदिल जो बना ढाल
पहलगाम के एक छोटे से गांव में रहने वाले आदिल फारूकी उस समय घटनास्थल के पास मौजूद थे जब हमला हुआ। गोलियों की तड़तड़ाहट सुनकर लोग इधर-उधर भागने लगे, लेकिन आदिल ने घबराए हुए पर्यटकों को पास की दुकान में छिपा दिया और खुद सामने आकर उन्हें ढक लिया। उसकी बहादुरी के चलते 6 लोगों की जान बच गई। स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने उसे सम्मानित करने की बात कही है।
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आदिल जो बना साजिश का हिस्सा
दूसरी तरफ, सुरक्षा एजेंसियों ने जिस शख्स को आतंकी मददगार बताया, उसका नाम भी आदिल है — आदिल शेख। जांच में पता चला कि इस आदिल ने हमले की योजना में सक्रिय भूमिका निभाई, आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट और इलाके की जानकारी दी। उसके मोबाइल फोन से पाकिस्तान से बातचीत के सुराग भी मिले हैं। फिलहाल वह एनआईए की हिरासत में है।
एक नाम, दो किस्मतें
इन दो आदिलों की कहानियाँ यह दिखाती हैं कि एक ही नाम वाला इंसान दो बिल्कुल विपरीत रास्तों पर चल सकता है — एक ने ज़िंदगी बचाई, दूसरा मौत बांटता रहा। कश्मीर की ज़मीन इन दोनों की गवाह बनी — एक ने दिल जीते, दूसरा नफरत की मिसाल बना।