हरियाणा सरकार ने विद्यार्थियों, मजदूरों, गरीबों को लू से बचाने के लिए विभिन्न विभागों के स्तर पर विस्तृत कार्य योजना लागू की है।
यह जानकारी हरियाणा के मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय गृह सचिव द्वारा हीटवेव की तैयारियों को लेकर बुलाई गई सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की बैठक के बाद दी।
उन्होंने बताया कि इस दिशा में प्रदेश के स्कूलों के समय में बदलाव किया जाएगा। स्कूल सुबह जल्दी शुरू होंगे और दोपहर से पहले बंद हो जायेंगे।
इस संबंध में सम्बन्धित जिला उपायुक्त अपने जिले की प्राथमिक कक्षाओं के लिए निर्णय लेने के लिए अधिकृत होंगे और बाकी कक्षाओं के लिए भी प्रदेशभर में मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार विभाग मुख्यालय स्तर पर निर्णय लेगा।
इस बारे में सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों, जिला शिक्षा अधिकारियों, खंड शिक्षा अधिकारियों, खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों और स्कूल प्रमुखों व प्रभारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
मुख्य सचिव ने बताया कि श्रम आयुक्त ने सभी फील्ड अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की है और विशेष रूप से उद्योगों, निर्माण स्थलों और ईंट-भट्ठों में पीक आवर्स के दौरान आराम का समय बढ़ाने के लिए निकटतम अस्पताल/क्लिनिक का फोन नंबर प्रदर्शित करने के लिए सभी फील्ड अधिकारियों को एक एडवाइजरी भी प्रसारित की गई है।
इस एडवाइजरी में किसी भी आपातकालीन स्थिति जैसे लू लगने की स्थिति में श्रमिकों के लिए विशिष्ट स्थानों पर एसी/कूलर की व्यवस्था करने, श्रमिकों के लिए सभी कार्य परिसरों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित करने, लेबर चैक और ईंट-भट्ठों पर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने, नियोक्ताओं को पर्याप्त मात्रा में आइस पैक/ओआरएस पैकेट रखने की सलाह दी गई है।
उन्होंने बताया कि सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय से, घर-घर जाकर जागरूकता पैदा करने और युवतियों और महिलाओं को लू के खतरों, इसके संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों और एहतियाती उपायों के बारे में शिक्षित करने तथा आंगनवाड़ियों में आई.ई.सी. सामग्री प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
एकीकृत बाल विकास योजना कार्यकर्ताओं को शिशुओं, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देने के साथ हीट वेव से संबंधित जानकारी प्रसारित करने के लिए के लिए कहा गया है ताकि उन्हें डी-हाइड्रेशन से बचाया जा सके।
इसके अलावा, हीट वेव पर पर विशेष ध्यान देते हुए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर पीने का पानी और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से प्राथमिक चिकित्सा सुनिश्चित करने, आंगनवाड़ी केंद्रों पर पर्याप्त ओआरएस, जिंक घोल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने बताया कि मनरेगा श्रमिकों को दिन में अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए काम के घंटों को पुनर्निर्धारित करने, पीने के पानी की सुविधा, शेड और प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं, कार्य स्थलों पर बच्चों की देखभाल की व्यवस्था करने, श्रमिकों में हीटवेव के प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए भी क्षेत्र अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा हीट वेव के दृष्टिगत पशुधन के लिए सलाह जारी की गई है। इसके अलावा,राज्य के सभी सहायक मंडल अग्निशमन अधिकारियों, फायर स्टेशन अधिकारियों तथा प्रभारियों को लू व गर्मी से निपटने के लिए तैयारी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
साथ ही, ये भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि अग्निशमन केंद्रों में सभी अग्निशमन वाहन व उपकरण चालू हालत में हों। मुख्य सचिव ने बताया कि सार्वजनिक स्थानों, जैसे-बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर ओआरएस कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे।
सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में अत्यधिक गर्मी व हीट वेव के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ के सम्बन्ध में सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह जारी की गई है। गर्मी से होने वाले तनाव संबंधी विकारों, रोकथाम और प्रबंधन पर सभी श्रेणियों के स्वास्थ्य कर्मियों को जागरूक करने का काम चल रहा है।
सभी जिला नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मामलों की दैनिक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करे। यदि कोई मामला न हो तो शून्य की रिपोर्ट की जानी चाहिए।
सिविल सर्जन और जिला नोडल अधिकारियों को आईएचआईपी पोर्टल पर रिपोर्टिंग की नियमित निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर जिला मुख्यालय पर मौजूदा नियंत्रण कक्ष हेल्प-डेस्क के रूप में काम करेंगे।
उन्होंने बताया कि खरीफ-2024 के लिए आकस्मिक फसल योजना तैयार कर ली गई है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की जा रही है। फसल को पानी की कमी से बचाने तथा फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई सुविधाओं का उपयोग किया जा रहा है।