
हाल ही में, जस्टिस वर्मा ने एक विवादास्पद बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा, “मुझे कोई जला हुआ नोट नहीं दिखा,” जो कानूनी दृष्टिकोण से अहम हो सकता है। इस बयान के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या यह दलील उन्हें किसी भी तरह से बचा पाएगी? इसके बाद, इस मामले की जांच के लिए तीन जजों की एक विशेष बेंच बनाई गई है।
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इस बेंच का काम जस्टिस वर्मा द्वारा उठाए गए दावों और उस स्थिति की सही जांच करना होगा, जिसमें उन्होंने यह दलील दी है। क्या यह जांच उन्हें न्यायिक संकट से बाहर निकाल पाएगी, या यह उनके लिए और भी मुश्किलें पैदा कर सकती है? यह सवाल आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण हो सकता है, और इसके परिणाम से न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठ सकते हैं।