देश

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित बनें भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने शनिवार को भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित संक्षिप्त समारोह में न्यायमूर्ति ललित को शपथ दिलाई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई केंद्रीय मंत्री इस समारोह में शामिल हुए। न्यायमूर्ति ललित से पहले प्रधान न्यायाशीध के रूप में सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति एन वी रमण भी इस मौके पर मौजूद थे।

न्यायमूर्ति ललित ने शपथ ग्रहण करने के बाद अपने 90 वर्षीय पिता और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश उमेश रंगनाथ ललित समेत परिवार के अन्य बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति ललित का कार्यकाल 74 दिन का होगा। वह 65 वर्ष के होने पर इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति ललित के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ अगले प्रधान न्यायाधीश हो सकते हैं।

मयूर विहार के फ्लैट से शुरू हुआ ललित का पेशेवर जीवन

बॉम्बे से दिल्ली आने के बाद मयूर विहार के फ्लैट से यू यू ललित का पेशेवर जीवन शुरू हुआ, जो अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण तक पहुंचा है। उन्होंने दिल्ली में अपनी अलग शैली से वकालत के क्षेत्र में धाक जमाई। टॉप क्रिमिनल लॉयर के रूप में उनकी पहचान बनी। ललित को नायाब तर्कों, दलीलों और सौम्य व्यक्तित्व वाले मृदु भाषी व्यक्ति के तौर पर भी जाना जाता है।

एक सदी से ज्यादा समय से वकालत कर रहा परिवार

जानना दिलचस्प है कि जस्टिस ललित के परिवार के लोग एक सदी से ज्यादा समय से वकालत के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनके दादा जी का नाम रंगनाथ ललित है जो महाराष्ट्र के सोलापुर में वकालत करते थे। उनके पिता उमेश रंगनाथ ललित ने सोलापुर से वकालत शुरू की। मुंबई में वकालत में उन्होंने काफी नाम कमाया। मुंबई हाई कोर्ट के वो जज भी रहे।

टीचर हैं सीजेआई ललित की पत्नी अमिता

यह जरूर है कि सीजेआई ललित की पत्नी अमिता उदय ललित का पेशेवर जीवन वकालत से अलग है। अमिता एक टीचर हैं जो नोएडा में दशकों से स्कूल चला रही हैं। जस्टिस ललित और अमिता के दो बेटे हैं। बड़े बेटे श्रेयस और उनकी पत्नी रवीना दोनों ही वकील हैं। छोटा बेटा हर्षद अपनी पत्नी राधिका के साथ अमेरिका में रहता है।

2014 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए ललित

जस्टिस ललित को 13 अगस्त, 2014 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। तब वह वरिष्ठ अधिवक्ता थे। वह मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3:2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इन तीन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति ललित भी थे।

उन्होंने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई से खुद को जनवरी 2019 में अलग कर लिया था। मामले में एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने संविधान पीठ को बताया था कि न्यायमूर्ति ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के वकील के रूप में एक संबंधित मामले में वर्ष 1997 में पेश हुए थे।

कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं जस्टिस ललित

हाल ही में, न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ मामलों की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत के सामान्य समय से एक घंटे पहले सुबह साढ़े नौ बजे बैठी थी। जस्टिस ललित ने कहा था, ‘मेरे विचार से आदर्श रूप से हमें सुबह नौ बजे बैठना चाहिए। मैंने हमेशा कहा है कि अगर हमारे बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम नौ बजे क्यों नहीं आ सकते।’

न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने 22 अगस्त को आम्रपाली घर विक्रेताओं के मामले की सुनवाई के लिए तीन सितंबर (शनिवार) को सुबह साढ़े 10 बजे से दोपहर एक बजे का समय निर्धारित किया, जबकि इस दिन शीर्ष अदालत में छुट्टी होती है। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है।

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button