अमेरिका में राहुल- अलगाववाद से मेल मिलाप, हिंदुत्व का अपमान
- अहम मुद्दों पर उजागर हुई राहुल गाँधी की असलियत
मृत्युंजय दीक्षित
लोकसभा में विपक्ष के नेता बनने के बाद राहुल गांधी ने अमेरिका यात्रा की और वहां भारत विरोधी शक्तियों और समूहों के साथ बैठकर भारत तथा हिंदुत्व विरोधी बयान देकर उजागर कर दिया कि वे लोकसभा में नेता विरोधी दल नहीं वरन भारत विरोधी नेता हैं। मोहब्बत की दुकान का गाना गाने वाले राहुल गाँधी नफरत से इतने अधिक भरे हुए हैं कि अपने पूर्वजों के अच्छे विचारों को भी तिलांजलि दे चुके हैं। अमेरिका में राहुल गांधी द्वारा प्रस्तुत विमर्श भारत विरोधी, अलगाववादी, विध्वंसक तथा हिंदुत्व का अपमान करने वाला है। राहुल गाँधी की भाषा हिन्दू देवी देवताओं के प्रति अपमानजनक रही। ऐसा प्रतीत हुआ कि राहुल गांधी वास्तव में शहरी नक्सली हैं और टुकड़े- टुकड़े गैंग के निर्देशक ही उनके सलाहकार हैं।
राहुल गांधी ने अमेरिका में भारत के खिलाफ जो जहर उगला है वह उनकी चुनावी रैलियों से अनवरत चली आ बयानबाजी का विस्तार है। राहुल गांधी ने अमेरिका में एक के बाद एक कई विवादित बयान दिये हैं जिनके कारण भारत का राजनैतिक वातावरण उद्वेलित है। राहुल गांधी ने अमेरिका में चीन की प्रशंसा करते हुए कहा कि वैश्विक उत्पादन में चीन का प्रभुत्व है इसलिए वहां पर बेरोजगारी नहीं है जबकि भारत और अमेरिका जैसे देशों में भयंकर बेरोजगारी है। सिख समुदाय पर भी राहुल ने विवादित और घटिया बयान दिया और कहा, मेरी लड़ाई इस बात को लेकर है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी पहनने की अनुमति दी जाएगी ?या एक सिख को कड़ा पहनने की अनुमति दी जाएगी? जो राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में यह ढिंढोरा पीटते रहे अगर भाजपा 400 पार चली गयी तो वह संविधान बदल देगी आरक्षण को समाप्त कर देगी।
उन्हीं राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा कि जब भारत भेदभाव रहित स्थान होगा तब कांग्रेस आरक्षण समाप्त करने पर विचार करेगी। अभी ऐसा नहीं है क्योंकि उनकी नजर में 2014 से दलितों आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) को उचित भगीदारी नहीं मिल रही है। राहुल गांधी ने हिंदी पर भी आरोप मढ़ दिया और कह डाला कि अगर आपको लगता है कि आंध्रप्रदेश के लोग हिंदी जितने महत्वपूर्ण नहीं हैं तो यह राज्य के लोगों का अपमान है। राहुल गांधी यहीं नहीं रुके बोलते बोलते राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ तक पहुँच गए औए कहा वे मानते हैं कि महिलाएं घर पर ही रहें, रसोई संभालें। सबसे बड़ा झूठ यह बोलकर आये हैं कि भारतीय राजनीति में प्रेम सम्मान और विनम्रता गायब है।
राहुल गांधी ने सिख समुदाय को लेकर जो विवादित बयान दिया है उससे खालिस्तान समर्थक आतंकवादी गुनपतवंतसिंह पन्नू बहत खुश है तथा उनका समर्थन कर रहा है, राहुल के बयानों से खालिस्तान मूवमेंट के समर्थन की बू आ रही है। भारत में पंजाब और पंजाबियत का जो हाल कांग्रेस ने किया है वह किसी से छुपा नहीं है। कौन नहीं जानता कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 3000 सिखों का जो नरसंहार हुआ, जगह जगह दंगो के दौरान सिखों की पगड़ी उतार कर फेकी गई, उनके घर और दुकानों को आग के हवाले किया गया यह सब कुछ गाँधी परिवार के नियंत्रण में ही हुआ था और राहुल के पिता राजीव गाँधी ने, “बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है “ कहकर उसका बचाव किया था। कांग्रेस के ही शासनकाल में सिख राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के साथ हुआ दुर्व्यवहार पूरा देश जानता है। राहुल गांधी के बयान से भारत का राष्ट्रभक्त सिख समाज आंदोलित और आहत है।
राहुल गांधी ने अमेरिका में एक बड़ा बयान भारत के लोकतंत्र और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को लेकर भी दिया है। राहुल के अनुसार 2024 का लोकसभा चुनाव निष्पक्ष नहीं था, उन्होंने कहाकि चुनाव आयोग बीजेपी द्वारा नियंत्रित था। बीजेपी के पास अपार धन था, प्रशासन की ताकत थी, चुनाव आयोग का रवैया बीजेपी के पक्ष में था अगर निष्पक्ष चुनाव होते तो बीजेपी 240 सीटें जीत ही नहीं सकती थी। यहाँ राहुल गांधी संभवतः भूल गये कि चुनावों के दौरान कांग्रेस द्वारा सत्ता के दुरुप्रयोग की कहानियां भरी पड़ी हैं वो तो भला हो कि धीरे धीरे चुनाव आयोग ने सामर्थ्य दिखाना आरम्भ किया और चुनाव प्रणाली को सुदृढ़ किया।
राहुल गांधी अमेरिका में धुर भारत विरोधी नेताओं के साथ बैठक करते हैं और उनके साथ विचार विमर्श करते हैं। दुनिया भर में राष्ट्रवादी सरकारों के सबसे बड़े दुश्मन और नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले जार्ज सोरोस के साथ उनके और उनकी माता जी के सम्बंध अब छुपे नहीं रह गये हैं। राहुल गांधी की सबसे अधिक विवादित मुलाकात डेमोक्रेट सांसद इल्हान उमर और प्रमिला जयपाल सहित विदेशी सरकारों के तख्ता पलट के विशेषज्ञ माने जाने वाले डोनाल्ड ब्लू से होती है जो बताती है कि राहुल गांधी के इरादे खतरनाक ही नहीं बहुत ही खतरनाक हैं।
राहुल गांधी प्रधानमंत्री का विरोध करते – करते अब देश का ही विरोध करने पर उतारू हो गये हैं। विश्लेषकों का अनुमान है राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा और उनकी बयानबाजी उन्हें ही भारी पड़ने वाली है जिसमें एक अहम मुद्दा आरक्षण का है। राहुल गांधी के आरक्षण समाप्त करने वाले बयान को बसपा नेत्री मायावती ने लपक लिया है और अब वह उसी को हथियार बनाकर हरियाणा व जम्मू कश्मीर सहित आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पर हमला करने जा रही हैं।
आश्चर्यजनक रूप से राहुल गांधी भारत के शत्रु देशों चीन और पाकिस्तान की निंदा नहीं करते, वह सीमा पार से चलाये जा रहे आतंकवाद का विरोध नहीं करते। राहुल गांधी का स्पष्ट विचार है कि 1947 से पहले भारत का अस्तित्व ही नहीं था। राहुल गांधी अमेरिका में जिस संगठन की ओर से कार्यक्रम आयोजित करते हैं वह सभी जार्ज सोरोस द्वारा पोषित संस्थाएं हैं। साफ है कि राहुल गांधी देश में अराजकता चाहते हैं। जब राहुल गांधी अमेरिका गये तब भारत में सुनियोजित तरीके से एक ही पैटर्न पर गणेशोत्सव पर हमले किये गये। राहुल गांधी अमेरिका में भाजपा व संघ की तुलना तालिबान से करते हुए हिंदुत्व पर प्रहार करते हैं।
राहुल गांधी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान हमेशा ही भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए खाद, पानी उपलब्ध कराते रहते हैं। राहुल गांधी जिस प्रकार चीन और पाकिस्तान की प्रशंसा के पुल बांधते हैं उससे एक बड़ा संदेह और भय पैदा होना स्वाभविक है। उनके मन में हिंदू और हिंदुत्व की विचारधारा के प्रति जिस प्रकार की नफरत भरी हुई है वो बहुसंख्यक समाज के लिए चिंता का विषय है।