ओपिनियनसंपादक की पसंद

सशक्त और आत्मनिर्भर होते भारत पर विदेशी शक्तियों का नया आक्रमण

मृत्युंजय दीक्षित


भारत अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बन चुका है और शीघ्र ही विश्व की तीन प्रथम अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक भी बन सकता है। प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत लोकप्रियता ने संपूर्ण विश्व में एक लंबी छलांग लगाई है और उन्होंने दुनिया के 22 नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। वर्तमान में भारत जी- 20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है। भारत विश्व में एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में अपनी नयी पहचान गढ़ रहा है।

स्वाभाविक है विश्व के कई देशों को यह अच्छा नहीं लग रहा है और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बिगाड़ने के लिए तत्पर हो गए हैं दुखद पक्ष ये है कि इन शक्तियों को भारत के विपक्ष का भी समर्थन मिल गया है । इसका प्रारंभ हुआ बीबीसी की गुजरात दंगों को लेकर बनायी गई शरारतपूर्ण डॉक्यूमेंट्री से और आगे बढ़ाया जा रहा है अमेरिका से आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से जिसमें भारत के प्रमुख वैश्विक उद्योगपति गौतम अडानी को केंद्र में रखकर भारत के वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया जा रहा है।

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ऐसे समय में आई जब भारत अपना गणतंत्र दिवस मना रहा था और संसद का महत्वपूर्ण बजट अधिवेशन भी प्रारंभ होने वाला था। ये दोनों विषय निजी विदेशी संस्थाओं एवं संचार माध्यमों द्वारा उठाए गए किन्तु भारत के विरोधी दलों ने जिस तरह इनको सत्ताधारी दल और विशेष रूप से प्रधानमत्री के विरुद्ध हथियार बनाया वो चिंताजनक है।

विपक्ष ने उद्योगपति अडानी का नाम लेकर संसद में बजट प्रस्तुत होने के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर होने वाली चर्चा को ठप कर दिया है ज्ञातव्य कि इस चर्चा का उत्तर प्रधानमंत्री देते हैं। संसद उस समय ठप की जा रही है जब अफ्रीकी देशों के नेता भारतीय संसद की कार्यवाही देखने आये थे और फिर 6 फरवरी को भूटान के प्रतिनिधियों का भारत की लोकसभा को देखने आना प्रस्तावित था। हंगामे के कारण भूटान के प्रतिनिधि भी लोकसभा की कार्यवाही नहीं देख सके। विरोधी दलों का यह रवैया लोकतंत्र की मान्यताओं का अपमान और भारत के लोकतंत्र की अन्तरराष्ट्रीय छवि पर प्रश्नचिह्न लगाने वाला है।

यह वस्तुतः देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी का भी अपमान है यह उनका महत्वपूर्ण अभिभाषण है जिस पर चर्चा होनी ही चाहिए थी लेकिन विरोधी दल कह रहे हैं कि जब तक अडानी प्रकरण की जेपीसी सुप्रीम कोर्ट से जांच की घोषण नहीं की जाती तब तक वह सदन नहीं चलने देंगे। विरोधी दल संसद मे अल्पमत व संख्याबल में कम होने के बावजूद ऐसे हंगामा कर रहे हैं जैसे वो सरकार गिरा देंगे। आज उनके लिए गौतम अडानी राष्ट्र, राष्ट्रपति तथा संविधान से भी ऊंचे हो गए हैं क्योंकि उनका नाम लेकर प्रधानमंत्री पर निरर्थक और झूठे आरोप लगाए जा सकते हैं।

ये हंगामा तब है जब रिजर्व बैक आफ इंडिया व सेबी जैसी नियामक संस्थाएं सक्रिय हो चुकी हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अगर गौतम अडानी के खिलाफ जाती है तब यह संस्थाएं उनके खिलाफ कड़े कदम उठाएंगी लेकिन फिलहाल ऐसे संकेत नहीं मिल रहे हैं कि गौतम अडानी ने कोई फ्राड किया है, अडानी के शेयरों में जो गिरावट देखी जा रही है वह केवल अफवाहों और राजनीति के कारण ही हो रही है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की आड़ में विरोधी दल प्रधानमंत्री नरेंद मोदी व भाजपा सरकार की छवि खराब करने का अभियान उसी तरह चला रहे हैं जिस प्रकार विपक्ष ने नोटबंदी से लेकर किसान आंदोलन और राफेल से लेकर पेगासस के मामलों में किया लेकिन उसका परिणाम सभी को पता है। वर्ष 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और 2024 में लोकसभा चुनाव होगा लेकिन लाख प्रयासों के बाद भी विपक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को पराजित करने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी अपेक्षित वातावरण नहीं बना सकी है।

यही कारण है कि अब कांग्रेस सहित सभी विरोधी दल विदेशी रिपोर्टों को आधार बनाकर प्रधनमंत्री मोदी व सरकार पर हमलावर हैं और संसद के बजट अधिवेशन को ठप कर दिया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने का समय सोचे समझे वैश्विक षड्यंत्र का हिस्सा लग रहा है क्योंकि यह वो समय है जब सम्पूर्ण विश्व के उद्योगपति भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं।कर्नाटक में ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा सम्मेलन हो रहा है जबकि उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भारी मात्रा में निवेश आने की सम्भावना है। अभी विश्व आर्थिक मंच की बैठक में भी भारत का डंका बजा था। यही समय है जब भारत की छवि बिगाड़ कर निवेश को दूर किया जा सकता है।

हिंडनबर्ग ने गौतम अडानी को उस समय निशाना बनाया जब उनका एक एफपीओ आने वाला था। ठीक उसी समय एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी बिल्कुल पेगासस की तरह। जानने योग्य बात है कि हिंडनबर्ग एक ऐसी कंपनी है जिस पर यूएस में कई कम्पनियों को नुकसान पहुंचाने को लेकर आपराधिक जांच चल रही है और विदेशी कंपनियों पर रिपोर्ट जारी करने पर रोक भी लगी हुई है।

हिंडनबर्ग नौ लोगों का ऐसा गिरोह है जो विश्व के 22 देशों में फर्जी रिपोर्ट जारी कर उथल- पुथल मचा चुका है और उन सभी मामले की जांच चल रही है।हिंडनबर्ग के अकाउंट तक यूएस एजेंसियों ने फ्रीज कर रखे हैं, ऐसी कंपनी जिसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है उसकी एक फर्जी रिपोर्ट पर भारत विरोधी तत्व सड़क से संसद तक उत्पात रहे हैं और गौतम अडानी की आड़ लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने का अभियान चला रहे हैं।

गौतम अडानी ने 2010 में आस्ट्रेलिया का कारमाइकल कोल माइन का प्रोजेक्ट खरीदा था और इसके मात्र छह वर्ष बाद ही 2016-17 में उनके खिलाफ साजिश की शुरूआत हो गयी थी। भारत में भी कुछ संस्थाओं और मीडिया हाउस के माध्यम से गौतम अडानी पर सुनियोजित तरीके से हमले किये गये। द वायर नाम की एक वेबसाइट गौतम अडानी के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। 2017 में इस वेबसाइट ने उनके खिलाफ एक लेख प्रकाशित किया था।

अडानी के खिलाफ साजिश को उन राजनैतिक हस्तियों का समर्थन प्राप्त है जो वर्षों से अडानी और नरेन्द्र मोदी के बीच सम्बन्ध स्थापित करने की असफल कोशिश कर रहे हैं । इसी प्रकार वामपंथी मीडिया हाउस के लोग भी गौतम अडानी के खिलाफ लगातार प्रोपेगेंडा खबरें चलाकर देश के मन को नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध करने की अपनी चाहत पूरी करने का प्रयास रहे हैं।

इसी शोरगुल के बीच अडानी ग्रुप ने इजराइल का हाईफा पोर्ट खरीद लिया और ट्विटर पर इजराइल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू के साथ समूह के प्रमुख गौतम अडानी की फोटो साझा कर दी जिससे भारत विरोधी और मोदी विरोधी लोगों को ईर्ष्या होना स्वाभाविक ही है। गौतम अडानी देश के बाहर विदेशों में जाकर बड़े प्रोजेक्ट ले रहे हैं उन्होंने ने श्रीलंका में चीन से पोर्ट छीन लिया और अफ्रीका में चीन और यूरोप की कंपनियों को सीधी टक्कर दे रहे हैं।

भारत में अडानी समूह 22 राज्यों में काम कर रहा है और उसने विरोधी दलों द्वारा शासित राजस्थान में 65 हजार करोड़, छत्त्तीसगढ़ में 25 हजार करोड़, ओडिशा में 68,585 करोड़, पश्चिम बंगाल में 35 हजार करोड, आंध्र प्रदेश में 60 हजार करोड़ और केरल में 17 हजार करोड़ का निवेश कर रखा है। आज राजैतिक कारणों से और गांधी परिवार की शह पर यही विरोधी दल एलआईसी और एसबीआई जैसी संस्थाओं के डूबने की झूठी अफवाहें फैला रहे हैं जबकि एलआईसी के निदेशक ने कांग्रेस से बार- बार अनुरोध किया कि वह एलआईसी के कार्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन न करें क्योंकि एलआईसी में ग्राहकों का धन पूरी तरह से सुरक्षित है।

कांग्रेस व अन्य विरोधी दल यह बात नहीं समझ पा रहे कि अगर वह इसी प्रकार अफवाहें फैलाते रहे कि एलआईसी डूब गया और एसबीआई डूब गया तो हजारों ऐसे मध्यम और निम्न माध्यम वर्गीय निवेशक जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा इन संस्थाओं में लगाया है और बेटी की शादी,बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने या अपना घर बनाने का सपना देखा है उनकी मानसिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा फिर उन बेचारे कर्मचारियों व ग्राहकों को निवेश के लिए आकर्षित करने वाले लोगों का क्या होगा जिनके परिवार का भरण पोषण ही इस पर टिका है। लगता है राजनैतिक स्वार्थ में अंधा विपक्ष देश में अफरा- तफरी का माहौल बनाना चाहता है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट हो या बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इन पर विरोधी दलों की बातों का संज्ञान लेने से पूर्व हमें कोविड महामारी के उन दिनों को स्मरण करना चाहिए जब ये लोग विदेश की उस वैक्सीन के सेल्स मेनेजर बने हुए थे जिसका प्रभाव शून्य और दुष्प्रभाव बहुतायत में थे जबकि भारत में बनी सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन का विरोध कर रहे थे।

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button