ओपिनियनसंपादक की पसंद

भारत जापान मैत्री के शिल्पकार और दूरदृष्टि वाले राजनेता – शिंजो आबे

मृत्युंजय दीक्षित


जापान के सबसे शक्तिशाली, प्रभावशाली, दूरदर्शीतथा लोकप्रिय नेता पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की 8 जुलाई को नारा शहर में एक चुनावी जनसभा में तेत्सुया यामागामी नामक एक (41 वर्षीय) एक युवक ने गोली मारकर हत्या कर दी जिसके कारण पूरा जापान ही नहीं अपितु पूरा वैश्विक जगत भी शोक में डूब गया है। सभी हैरान तथा स्तब्ध हैं। पूर्व पीएम शिंजोआबे पूरी दुनिया में चीन के विस्तारवाद के खिलाफ एक तगड़ी मुहिम चला रहे थे। शिंजोआबे जापान के ऐसे प्रधानमंत्री थे जो 8 वर्ष तक जापान के प्रधानमंत्री रहे तथा उन्होंने वहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनैतिक स्थिरता कायम की और जापान में काफी बदलाव करते हुए विकास को नयी गति देने का काम भी किया।

आज जापान की विश्व जगत में जो धाक जमी है उसके कारण चीन उनसे चिढ़ा हुआ था। जैसे ही शिंजो पर हमले का समाचार चीनी मीडिया ने ही प्रोपेगैंडा शुरू कर दिया और सोशल मीडिया में चीनी लोग ख़ुशी मनाने लगे। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या काफी हैरान करने वाली है क्योंकि जापान में कभी चुनावी हिंसा या इस प्रकार की वारदातें नहीं होती है और वहां पर अमेरिका की तरह हथियार भी आसानी से नहीं खरीदे जा सकते हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत- जापान मित्रता के प्रबल पक्षधर थे।

शिंजोआबे एक ऐसे दूरदर्शी नेता नेता थे जिन्होंने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को समय रहते पहचान कर अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया व भारत के साथ मिलकर क्वाड गठबंधन बनाया था। एशिया प्रशांत क्षेत्र की भू -राजनैतिक परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी है जिसका असर काफी समय तक दिखायी पड़ेगा। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री की निर्मम हत्या से भारत ने भी अपना एक परम मित्र खो दिया है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे की मित्रता किसी से छिपी नहीं है। आज जापान भारत के विकास में पूर्ण सहयोग कर रहा है तथा अनेकानेक योजनाओं -परियोजनाओं में वह भारी निवेश भी कर रहा है। सौर ऊर्जा से लेकर मेट्रो और बुलेट ट्रेन परियोजनाओं में जापान का निवेश है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी जापान महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। आज भारत में चीनी कम्पनियों के व्यापार में आ रही गिरावट है के लिए भी चीन परोक्ष रूप से जापान को ही जिम्मेदार मान रहा था।

शिंजोआबे जापान में राष्ट्रवादी छवि के नेता थे यही कारण है कि उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गहरी मैत्री हो गयी थी। मोदी जी से मैत्री के कारण ही शिंजोआबे ने सबसे अधिक बार भारत की यात्रा की और मित्रता ओ एक मुकाम तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी गहरी मैत्री के ही कारण 2014 में विकास परियोजनाओं पर समझौते हुए भारत -जापान के बीच बुलेट ट्रेन समझौता हुआ इसके तहत भारत को 88 हजार करोड़़ रूपए महज 0.1 फीसदी ब्याज पर देना तय हुआ।

हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ी और 2016 में असैन्य परमाणु समणैता हुआ यह इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि पहले जापान ने कभी भारत को परमाणु शक्ति के तौर पर मान्यता नहीं दी थी। 2007 में स्वर्गीय शिंजोआबे ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भारत यात्रा की और संसद में भाषण देते हुए भारत- जापान मैत्री को अहम बताते हुए इन सम्बंधों को ”दो सागरों का मिलन“ बताया। विदेश नीति के विशेषज्ञों के अनुसार इस भाषण ने भारत -जापान को अधिक पास लाने की नींव रखी । शिंजोआबे 2014 के गणतंत्र दिवस परेड पर वे मुख्य अतिथि भी रहे।

शिंजोआबे भारत से विषष लगाव रखते थे। वह एक ऐसे जापानी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने सबसे अधिक 5 बार भारत का दौरा किया था। वह पहली बार 2006 -07 में भारत आये । उसके बाद 2012 से 20 के मध्य अपने दूसरे कार्यकाल में शिंजोआबे 2014, 15 और सितंबर 2017 में भारत आये। भारत के प्रति शिंजो आबे का प्यार ही था जिसके कारण भारत ने उन्हें 2021 में अपने नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।

जापानी प्रधानमंत्री शिंजोआबे का काशी से भी लगाव था, पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें अपने साथ काशी लेकर गये जहां पर वह गंगा आरती में शामिल हुए और पूजा की थाली हाथ में लेकर आरती उतारी । प्र्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिंजोआबे ने काशी को क्योटो बनाने का साझा संकल्प लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रीमद्भगवद् गीता भेंट की थी। स्मरणीय रहेगा कि काशी में आज जो रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर बनकर पूरा हो चुका है उसके निर्माण में जापान का ही सहयोग रहा है।

सितंबर 2017 में वह गुजरात आये और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अहमदाबाद में रोड शो किया और भारत -जापान वार्ता में भाग लिया। अहमदाबाद यात्रा में शिंजोआबे ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिंजो आबे के कार्यकाल में जब जापान गये तब वहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया । जापान यात्रा के दौरान दोनों मित्रों ने एक साथ बुलेट ट्रेन में यात्रा भी की। स्वर्गीय शिंजोआबे भारत को सुपर पॉवर के रूप में देखना चाहते थे और वह भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भी पक्षधर थे।

स्वतंत्र भारत की यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक के रूप में उन्होंने सुनिश्चित किया कि अगर नया भारत अपने विकास की गति को तेज करना चाहता है तो जापान साथ मौजूद रहेगा। शिंजोआबे की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि फोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें 2018 में दुनिया का 38वां सबसे ताकतवर व्यक्ति माना। राजनीति में उतरने से पहले उन्होंने फिल्मों में भी काम किया था। उनका जन्म एक राजनैतिक परिवार में ही हुआ था और उनके परिवार से पहले भी जापान को दो प्रधानमंत्री मिल चुके थे।

आबे जापान के पहले प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने बदलती दुनिया में बदलने की हिम्मत की और चीन के खतरे को महसूस किया। चीन की आक्रामक नीतियों और उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसी को ध्यान में रखते हुए आबे ने फिर से जापान की सैन्य ताकत को पटरी पर लाने का प्रयास किया। आज शिंजोओबे भले ही हम सभी लोगों के बीच न हों लेकिन उनकी दूरदर्शी नीतियां आगे आने वाले नेताओं को मार्ग दिखाती रहेंगी। विभिन्न मंचों पर भारत भी अपनी विकास यात्रा में उनके योगदान को याद रखेगा। इस जघन्य हत्या के दूरगामी राजनीतिक परिणाम भी होंगे जिसका असर भविष्य में दिखाई पड़ेगा।

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button