
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 तांत्रिक साधना और गुप्त पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दौरान देवी के दस महाविद्याओं की साधना गुप्त रूप से की जाती है। लेकिन कई बार साधक अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिससे पूरी साधना निष्फल हो सकती है। जैसे—पूजा के दौरान शुद्धता का पालन न करना, मंत्रों का उच्चारण गलत करना, गुप्त साधना को सार्वजनिक करना, पूजा के समय अनुशासन न रखना और व्रत नियमों का उल्लंघन करना। इन गलतियों से मां भगवती की कृपा प्राप्त नहीं होती। इसलिए यदि आप गुप्त नवरात्र के दौरान कोई साधना या व्रत कर रहे हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें और किसी अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन अवश्य लें।
गुप्त नवरात्रि का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसमें की गई साधना का फल कई गुना बढ़कर मिलता है, लेकिन इसकी सफलता पूरी तरह साधक की निष्ठा, अनुशासन और गोपनीयता पर निर्भर करती है। तांत्रिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि गुप्त नवरात्रि की साधना यदि किसी को बताई जाए या दिखावे के रूप में की जाए, तो उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसलिए साधक को मौन, संयम और गुप्तता का विशेष पालन करना चाहिए।
एक और आम गलती जो कई लोग करते हैं, वह है – बिना शुद्धि और ध्यान के देवी की आराधना करना। गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से तन, मन और स्थान की शुद्धता बेहद आवश्यक होती है। जिस स्थान पर साधना की जा रही है, वहां स्वच्छता, शांति और सात्त्विकता बनी रहनी चाहिए। पूजा से पहले स्नान, वस्त्र और मन की निर्मलता अनिवार्य है।
इस दौरान कोई भी नकारात्मक विचार, क्रोध, लोभ, अहंकार या असत्य बोलना साधना को बाधित कर सकता है। गुप्त नवरात्रि सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और साधना की गहराई में उतरने का समय होता है। यह समय न केवल देवी आराधना का होता है, बल्कि आत्मनिरीक्षण और आत्मशुद्धि का भी अवसर होता है।