फसल को पाला से बचाने को लेकर किसानों को रहना होगा सावधान
राजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों ने आलू, मटर, सरसों, गेहूं जैसे अनेक मौसमी फसलों की खेती किसानों ने बढ़-चढ़कर किया है. वहीं, दिसंबर से जनवरी महीने के बीच सामान्य तौर पर मटर, सरसों आलू में झुलसा रोग से किसानों का फसल अधिक नुकसान हो रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए किसान सही समय पर सही तकनीकी अपनाने की जरूरत है, जिससे किसान अपनी फसलों को पाला से बचा सकें, जिससे किसानों के फसल का अच्छा उत्पादन हो सके और किसान अपनी फसल का अच्छा मुनाफा कमा सके.
सामान्य तौर पर तापमान कम होने के साथ ही ठंड बढ़ती जाती है और तापमान 10 डिग्री से कम होने लगता है. जैसे ही पाला पड़ना शुरू हो जाता है और पाला रोग के वजह से सरसों, गेहूं आलू ,मटर की पत्तियों सूखने लगती है, जिससे किसानों के फसल प्रभावित होने का डर ज्यादा रहता है. इसको लेकर समय-समय पर फसलों की सिंचाई किया जाना चाहिए. साथ ही समय-समय पर दवाओं का भी छिड़काव किया जाना चाहि, जिससे फसलों को पाला से बचाया जा सकता है और अच्छा उत्पादन किया जा सकता है.
शैरपुर के किसान अभिषेक ने बताया कि पिछले वर्ष 5 बीघा आलू का फसल लगाया था. वहीं, पिछले वर्ष ज्यादा ठंड होने की वजह से फसल में झुलसा रोग लग गया था, जिससे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था. वह बताया कि इस बार भी आलू की फसल लगाई है. इस बार मौसम को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर फसल की सिंचाई कर रहे हैं. साथ ही दवाओं का भी छिड़काव कर रहे हैं.
कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र ने बताया कि इस वर्ष मौसम के अनुकूलता के आधार पर आलू, सरसों, मटर की फसल में पछेती झुलसा रोग लगने की संभावना ज्यादा है. ऐसे में किसानों को कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाना चाहिए . वहीं, बताया कि मैंकोजेब युक्त फफूंदीनाशक 0.2 प्रतिशत की दर से यानी 2 किलोग्राम दवा 1000 लीटर पानी में 1 हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में छिड़काव किसानों को किया जाना चाहिए, जिससे फसलों को झुलसा रोग से बचा जा सकता है.