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टेस्ट क्रिकेट में वापसी के लिए हमें निःस्वार्थ खिलाड़ियों की ज़रूरत : स्टोक्स

लंदन: इंग्लैंड के नवनियुक्त टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स का कहना है कि उन्हें अपनी टीम के लिए 10 निःस्वार्थ खिलाड़ियों की ज़रूरत है, जिन्हें वह अगले महीने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ शुरू हो रही टेस्ट सीरीज़ में साथ खेलते देखना चाहते हैं। इंग्लैंड को पिछले 17 टेस्ट मैचों में से सिर्फ़ एक में ही जीत मिली है।स्टोक्स ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट हमेशा से ही उनकी प्राथमिकता रहेगी और वह टेस्ट क्रिकेट को आईपीएल या किसी भी सीमित ओवर के मैच से पहले चुनेंगे।

उन्होंने कहा, “इंग्लैंड के लिए कप्तानी करना मेरे लिए चुनौती है, लेकिन मैं पिछले कुछ साल की इंग्लिश क्रिकेट की निराशा को पीछे छोड़ आगे बढ़ने के बारे में सोच रहा हूं। यह प्रक्रिया आज से ही और दो जून से न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ लॉर्ड्स टेस्ट से शुरु हो जाएगी।”उन्होंने बताया कि जब रॉब की ने उन्हें कप्तानी का प्रस्ताव दिया तब उन्हें कुछ समझ नहीं आया और वह इसे स्वीकार करने में थोड़ा संकोच कर रहे थे। उन्होंने कहा, “इंग्लैंड की टेस्ट कप्तानी एक ऐसा जॉब है, जिसे आप एक झटके में ‘हां’ या ‘ना’ नहीं कह सकते। आपको सोचने के लिए कुछ समय चाहिए होता है।

हालांकि मैंने ज़्यादा समय भी नहीं लिया और कुछ नज़दीकी लोगों से बात करने के बाद हां कर दी। आप ऐसे इस प्रस्ताव को ठुकरा भी नहीं सकते।”इंग्लिश टेस्ट क्रिकेट में सुधार के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमें काफ़ी बदलाव की ज़रूरत है और यह बदलाव सिर्फ़ मैदान के अंदर नहीं बल्कि बाहर भी होना है। मुझे कुछ निःस्वार्थ क्रिकेटरों की ज़रूरत है, जो मैदान के अंदर और बाहर इंग्लैंड क्रिकेट के बेहतरी के बारे में सोचे। मुझे ऐसे 10 और लोगों की ज़रुरत है, जो मेरी तरह सोचते हैं।”

स्टोक्स ने कहा कि वह अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ों जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड को टेस्ट टीम में फिर से वापस देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “आप कोई टेस्ट मैच तभी जीत सकते हैं जब आपके पास 11 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हों। अगर एंडरसन और ब्रॉड फ़िट हैं, तो वे चयनित होंगे क्योंकि वे इंग्लैंड के दो सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाज़ हैं। वे क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में से हैं और उन्हें ना चुनना मेरे विचार में मूर्खता है। वह किसी भी एकादश में फ़िट बैठते हैं।”

वेस्टइंडीज़ दौरे पर घुटने की चोट से प्रभावित रहे स्टोक्स को अभी इस सीज़न में काउंटी क्रिकेट खेलना है। पिछले साल भी उनके उंगली में चोट लगी थी और वह लंबे समय तक टीम से बाहर रहे थे। इसके बाद उन्होंने मानसिक कारणों से भी कुछ महीनों के लिए क्रिकेट से दूरी बना ली थी। क्या उन पर कप्तानी का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा, इस पर उन्होंने कहा कि वह इस नई भूमिका को सकारात्मक तरह से ले रहे हैं।

ऐंड्रयू फ़्लिंटाफ़ या सर इयान बॉथम जैसे ऑलराउंडर कप्तानों के पदचिन्हों पर चलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सब मीडिया की बनाई गई हवा है। “जब मैं 18 साल का था तब से ही मुझ पर इन दो महान खिलाड़ियों का टैग लगता रहा है। हालांकि मैंने कभी उन जैसा बनने की कोशिश नहीं की। मैं बस बेन स्टोक्स हूं।”

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