मान सरकार के लगातार प्रयासों से पिछले 2 वर्षों में पंजाब में पराली जलाने के मामलों में आई 70% की कमी
आम आदमी पार्टी(आप) पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मान सरकार राज्य में पराली जलाने को रोकने के लिए लगातार ठोस कदम उठा रही है।
मंगलवार को चंडीगढ़ पार्टी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आप पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति के लिए केवल पंजाब के किसान जिम्मेदार नहीं हैं।
अदालत ने यूपी, हरियाणा, राजस्थान और केंद्र सरकार को भी इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंग के साथ पार्टी प्रवक्ता जगतार सिंह संघेड़ा, अहबाब ग्रेवाल और बब्बी बादल भी थे।
कंग ने कहा कि पंजाब सरकार पहले से ही पंजाब की हवा, जल एवं पर्यावरण के मामलों को लेकर बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि पंजाब में मान सरकार पराली जलाने की समस्या पर लगाम लगाने के लिए लगातार कदम उठा रही है और उनकी कोशिशें रंग भी ला रही हैं, क्योंकि इस साल पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है।
कंग ने कहा कि पराली जलाना किसानों की मजबूरी रही है। लेकिन हमारी सरकार ने जैव ईंधन कारखानों जैसे विकल्प प्रदान किए जो किसानों से धान की पराली खरीदते हैं। इससे किसानों को मदद मिलती है, क्योंकि उन्हें पराली नहीं जलानी पड़ती और इसके बदले उन्हें अच्छा पैसा भी मिलता है।
कंग ने कहा कि आज दिल्ली जिस प्रदूषण का सामना कर रही है, उसके लिए केवल किसान ही जिम्मेदार नहीं हैं। इसपर केंद्र सरकार को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और राष्ट्रीय राजधानी में सभी प्रकार के प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
कंग ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार और मोदी सरकार से इस समस्या से निपटने के लिए एक फंड स्थापित करने को कहा है, लेकिन केंद्र सरकार ने हमारे प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार समेत सभी सरकारों को पराली जलाने पर रोक लगाने और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है।
कंग ने कहा कि पंजाब की हवा, पानी और मिट्टी को बचाने के लिए मान सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि पंजाब में धान की बुआई 4 चरणों में हो और हम मूंगी पर एमएसपी देकर, गन्ना किसानों का बकाया चुकाकर फसल विविधीकरण को भी लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाबी चावल नहीं खाते हैं, लेकिन हरित क्रांति के दौरान पंजाब ने देश के अन्न भंडार को भरने का काम किया। इसलिए अब केंद्र सरकार की बारी है कि वह पंजाब के किसानों की मदद के लिए आगे आए। कंग ने कहा कि मोदी सरकार को यहां फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए पंजाब को तुरंत एक विशेष वित्तीय पैकेज देना चाहिए।
कपास, मक्का, खट्टे फल और दाल जैसी अन्य फसलों का एमएसपी सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि किसानों के पास धान और गेहूं के अलावा अन्य विकल्प हो। केंद्र सरकार को भी इस मुद्दे से निपटने के लिए एक एमरजेंसी फंड स्थापित करना चाहिए।