चंडीगढ़ वासियों को जल्द मिलेगा सुप्रीम कोर्ट से न्याय: डॉ. अहलूवालिया
सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में अनियमितताओं पर कड़ा संज्ञान लिया। आज के घटनाक्रम ने भाजपा को बेनकाब कर दिया है, जो धांधली में शामिल थी।
जब सुप्रीम कोर्ट ने अनिल मसीह से पेन से मतपत्र रद्द करने के बारे में पूछा तो अनिल मसीह ने स्वीकार किया कि उन्होंने 8 मतपत्रों पर निशान लगाए थे।
जिस पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने पीठासीन अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर जो काम किया है। मेयर चुनाव के दौरान यह स्वीकार्य नहीं है जिसके लिए आप पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
इस मौके पर पंजाब वाटर सप्लाई एवं सीवरेज बोर्ड के चेयरमैन एवं आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के सह-प्रभारी डॉ. एसएस अहलूवालिया ने कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में अनिल मसीह द्वारा लोकतंत्र की हत्या को लेकर एक बार फिर कड़ी टिप्पणी की है।
इससे साफ हो गया है कि चंडीगढ़ के लोगों को जल्द ही सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर पद के लिए दोबारा मतदान नहीं होगा।
30 जनवरी को डाले गए वोटों पर अनिल मसीह द्वारा पेन से लगाए गए निशानों को नजरअंदाज कर वोटों की दोबारा गिनती करके मेयर घोषित किया जाएगा।
डॉ. अहलूवालिया ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट को उनके वकीलों ने यह भी बताया कि भाजपा द्वारा चंडीगढ़ में पार्षदों को धमकाया जा रहा है और उनका पीछा किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है और शीर्ष अदालत इस पर भी कार्रवाई करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से बीजेपी पार्षद कंवरजीत राणा, हरजीत सिंह, पूर्व मेयर अनुप गुप्ता, जसमनप्रीत सिंह, मनोनीत पार्षद सतिंतर सिद्धू, डॉ. रमणीक बेदी, अमित जिंदल, डॉ. नरेश पांचाल और अन्य बीजेपी पार्षद अनिल पर लगे कैमरे हटा रहे थे।
अनिल मसीह द्वारा की गई लोकतंत्र की हत्या में ये सभी पार्षद समान रूप से दोषी हैं, क्योंकि ये सभी पार्षद पूर्व निर्धारित आदेश के तहत कैमरे हटा रहे थे, ताकि अनिल मसीह की ‘काली करतूतें’ कैमरे में कैद न हो जाएं।