मंत्री जौरामाजरा ने मिशन ‘हर खेत को नहरी पानी’ का किया नेतृत्व, विधायकों के साथ की बैठक
मिशन ‘हर खेत को नहरी पानी’ के तहत और भूमिगत जल पर निर्भरता कम करने के लिए पंजाब के जल संसाधन और मृदा एवं जल संरक्षण मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा आवश्यक जमीनी जानकारी एकत्र करने के लिए स्थानीय विधायकों, जिला प्रशासन और संबंधित विभागों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहे हैं।
चेतन सिंह जौरामाजरा ने हाल ही में पटियाला, लुधियाना, मोगा और अमृतसर में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के विधायकों के साथ बैठकों के दौरान संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि भूजल के उपयोग की तरह प्रत्येक खेत को नहरी पानी निर्धारित समय सीमा में सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
नहरी पानी के अधिकतम उपयोग से ही राज्य में बाढ़ की समस्या को कम किया जा सकता है। चेतन सिंह जौरामाजरा ने बताया कि राज्य के भूजल संसाधनों में चिंताजनक दर से गिरावट आ रही है और 150 में से 117 ब्लॉक, जिनमें राज्य का लगभग 80% भौगोलिक क्षेत्र शामिल है, पहले से ही अत्यधिक दोहन की श्रेणी में हैं।
उन्होंने वैकल्पिक सतही जल-आधारित सिंचाई जल स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और राज्य के गिरते भूजल संसाधनों को रोकने के लिए नहर के पानी का अधिकतम उपयोग भी करना।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स.भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार भविष्य की पीढ़ियों के लिए भूमिगत जल को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, जबकि पिछली सरकार इस गंभीर मुद्दे को टालती रही, जिसके परिणामस्वरूप संपूर्ण नहरी जल बुनियादी ढांचा लगभग नष्ट हो गया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मान सरकार नहर संरचना को पूरी तरह से पटरी पर लाएगी और आगामी खरीफ सीजन में नहर जल प्रणाली की बहाली होगी। जिससे अंतिम छोर और हर क्षेत्र तक इसकी उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
सिंचाई उद्देश्यों के लिए उपचारित पानी का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए स. चेतन सिंह जौरामाजरा ने कहा कि राज्य सरकार ने भूमिगत जल की और कमी को रोकने और किसानों के लिए कृषि इनपुट लागत को कम करने के अपने प्रयासों के तहत दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
चालू वित्त वर्ष के अंत तक उपचारित जल का उपयोग 600 एमएलडी तक हो जाएगा। जिससे 20,000 हेक्टेयर कृषि भूमि को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य वर्तमान में सिंचाई के लिए 320 एमएलडी का उपयोग कर रहा है।
जल संसाधन मंत्री ने अधिकारियों को जलधाराओं पर अवैध कब्जे हटाने का भी निर्देश दिया है, ताकि किसानों को नहर का पानी मिल सके। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे जलधाराओं से अवैध कब्जे स्वयं ही हटा लें, क्योंकि ये जलधाराएं उनके खेतों को सिंचित करेंगी।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सरकार ने जलधाराओं और नालों की सफाई के लिए दस बड़ी मशीनें हासिल की हैं। जिससे लागत में 60 प्रतिशत की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो काम पूरा करने के लिए अतिरिक्त मशीनरी भी खरीदी जाएगी।
उन्होंने अधिकारियों को जलमार्गों और नालों की सफाई करने और चल रही परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि फसल की कटाई के तुरंत बाद प्रत्येक नाले का सीमांकन किया जाना चाहिए।