दिवाली पर लुधियाना में पटाखे फोड़ने पर लगाई गई समय की पाबंदी
लुधियाना प्रशासन ने एक एडवाइजरी जारी कर दिवाली, गुरुपर्व और क्रिसमस के मौके पर पटाखे फोड़ने की इजाजत दे दी है। लुधियाना की डिप्टी कमिश्नर सुरभि मलिक की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक और क्रिसमस पर रात 11:55 से 12:30 बजे तक पटाखे जलाए जा सकेंगे।
इसी तरह गुरुपर्व के दिन सुबह 4:00 बजे से 5:00 बजे तक और रात में 9:00 बजे से 10:00 बजे तक 2 घंटे तक पटाखे जलाए जा सकते हैं।
इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उत्सव सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से संपन्न हों। आदेश के मुताबिक, उपरोक्त समय से पहले और बाद में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध रहेगा। इसी तरह अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक संस्थानों और अदालतों के 100 मीटर के दायरे में पटाखे जलाने पर भी प्रतिबंध रहेगा।
इससे पहले, छत्तीसगढ़ सरकार ने भी एक एडवाइजरी जारी कर दिवाली, छठ, गुरुपर्व, क्रिसमस और नए साल के मौके पर 2 घंटे तक पटाखे फोड़ने की इजाजत दी थी। त्योहारों, खासकर दिवाली के दौरान बड़े धूमधाम से पटाखे फोड़े जाते हैं, लेकिन पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए छत्तीसगढ़ के आवास एवं परिवहन विभाग ने पटाखे जलाने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं।
सितंबर 2023 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हरित पटाखों में बेरियम को शामिल करने की पटाखा निर्माता संघ की याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने दिवाली से पहले सभी पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले को बरकरार रखा।
कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को भी दोहराया कि पटाखों में बेरियम साल्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने दिवाली पर 2 घंटे तक पटाखे चलाने की भी इजाजत दी। आतिशबाजी से उत्पन्न तेज़ आवाज़ जानवरों में महत्वपूर्ण तनाव और भय पैदा कर सकती है।
अचानक तेज़ धमाकों से चिंता, बेचैनी, हृदय गति बढ़ सकती है और यहां तक कि घबराहट भी हो सकती है। पटाखे फोड़ने से वातावरण में गर्मी, कार्बन डाइऑक्साइड और कई जहरीली गैसें भी बढ़ती हैं। जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है और हवा प्रदूषित होती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।