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इटावा कांड में अखिलेश का जाति कार्ड फेल, पीड़िता ने ही खोल दी पोल

इटावा। इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के ददरपुर गांव में भागवत कथा के दौरान कथित मारपीट और छेड़खानी प्रकरण में एक बार फिर अखिलेश यादव के जातीय ध्रुवीकरण के एजेंडे की पोल खुल गई है। मामले में पीड़िता परीक्षित महिला रेनू तिवारी के खुलासे ने पूरी कहानी ही पलट दी है। घटना के शुरू में यह कहा गया कि ब्राह्मण समुदाय के कुछ लोगों ने यादव कथावाचकों के साथ मारपीट की, लेकिन अब परीक्षित महिला रेनू तिवारी ने न सिर्फ कथावाचकों मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव पर छेड़खानी का आरोप लगाया है, बल्कि यह भी कहा कि उन्होंने खुद को ब्राह्मण बताकर कथा करवाई। अखिलेश यादव इस पूरे प्रकरण को ब्राह्मण बनाम यादव रंग देने में जुटे थे, लेकिन पीड़ित महिला ने उनकी बोलती बंद कर दी।

महिला से बदतमीजी के बाद बढ़ा विवाद

पीड़िता और उनके पति का कहना है कि कथावाचक ने पहले दिन ही महिला से बदतमीजी की थी, जिसके विरोध में गांव के कुछ युवकों ने प्रतिक्रिया दी। यही कारण था कि विवाद भड़का। इस बीच, ब्राह्मण महासभा भी खुलकर सामने आ गई है। संगठन ने पुलिस से कथावाचकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और चेताया है कि यदि जातिगत भ्रामकता और महिलाओं के साथ बदसलूकी करने वालों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन होगा।

जातिवाद की राजनीति कर रहे अखिलेश यादव

दूसरी तरफ, अखिलेश यादव इस पूरे प्रकरण को ब्राह्मण बनाम यादव रंग देने में जुटे हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब अखिलेश यादव ने जातिगत चश्मे से किसी घटना को देखा हो। हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने बिना तथ्य जांचे सीधे ब्राह्मण समाज पर आरोपों की बौछार शुरू कर दी। क्या अखिलेश यादव को यह नहीं दिखता कि महिला खुद पीड़िता है और आरोपी कथावाचक उसी वर्ग से हैं, जिनका वे राजनीतिक समर्थन चाहते हैं? क्या उन्हें यह नहीं दिखता कि योगी सरकार ने आरोपियों की गिरफ्तारी कर मामले में त्वरित कदम उठाए हैं?दरअसल, अखिलेश यादव की राजनीति का आधार ही जातिगत ध्रुवीकरण है। उन्हें अपराधी से ज्यादा उसकी जाति दिखाई देती है।

योगी सरकार ने दिखाई निष्पक्षता

योगी आदित्यनाथ की सरकार में अपराधी की जाति नहीं, उसका अपराध देखा जाता है। इटावा केस इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। मामला संज्ञान में आने के बाद योगी सरकार ने बिना भेदभाव चारों आरोपियो को गिरफ्तार कर मामले की निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम ने अखिलेश यादव का असली चेहरा सबके सामने उजागर कर दिया है। जनता समझ चुकी है कि अखिलेश यादव जैसे नेता समाज को जाति में बांटकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं। ऐसे विभाजनकारी नेताओं को जनता ने हर चुनाव में सबक सिखाया है और आगे भी सिखाएगी।

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