यूपी चुनाव की सरगर्मी के बीच फिर गूंजे रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे, हमीरपुर में नेताओं के घुसने पर लगाया बैन
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी है. इस बीच हमीरपुर जिले की राठ विधान सभा के ग्रामीणों ने सड़क न बनने से नाराज़ हो कर चुनाव बहिष्कार करने का फैसला किया है. साथ ही पूरे गांव में काले झंडे लगा दिए है पूरा गांव एक जुट हो कर वोट न करने पर अड़ा है. हालात इतने खराब है कि लोगों ने गांव में नेताओ के घुसने पर प्रतिबंध लगा दिया. पूरे गांव में सड़क नहीं तो वोट नहीं के बैनर लगे हैं. गांव में मर्दों से ज्यादा महिलाएं आक्रोशित हैं, वो राजनेताओं पर वादा खिलाफी का आरोप लगाकर विधान सभा चुनाव में मतदान न कर प्रशासन और नेताओं को कटघरे में खड़ा करने में पीछे नही हट रही हैं.
हमीरपुर जिले के चिकासी थाना क्षेत्र के जिगनी गांव के ग्रामीण काले झंडे, बैनर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीण अपने गांव की रोड़ के निर्माण की मांग को ले कर यहां से किसी भी नेता को अपने गांव में नहीं घुसने दे रहे हैं. नेता गांव के इसी मुहाने से बेरंग हो कर लौट जाते हैं. यहां गांव के बाहर ही नेताओं को अंदर न घुसने की चेतावनी दी जा रही है. गांव की रानीदेवी और योगेश की मानें तो पिछले 25 सालों से उन्हें विकास के नाम पर ठेंगा दिया गया है नेता आते हैं और वादे कर चले जाते है. वोट लेकर जीतने के बाद वो इस गांव को भूल जाते हैं इसी सड़क कि वजह से कई महिलाओं कि डिलीवरी अस्पताल पहुंचने से पहले हो जाती है.
देश की आजादी में अहम भूमिका निभा चुका है जिगनी गांव
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की राठ विधान सभा के 1500 आबादी वाले जिगनी गांव में मतदाताओं ने विधान सभा चुनाव को पूरी तरह से बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है. गांव में सैकड़ों युवा, वृद्ध और महिलाएं सब खुल कर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं. गांव के कोने कोने में सड़क नहीं तो वोट नहीं के बैनर लगा दिए गये हैं. वहीं गांव के बुजुर्ग सीताराम की मानें तो जिगनी गांव देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभा चुका है.
पिछले 25 सालों से नहीं हुआ निर्माण
यहां के राम निवास चीन से युद्ध के दौरान अपने दोनों पैर गवा चुके हैं, वही रमोले श्रीवास ने अपने प्राण भी न्योछावर कर लिए उसके बाद भी देश के नेता और राजनीतिक पार्टियां उनका बलदान भूल गयी. आज यहां के हालात ऐसे हैं कि हमीरपुर को जोड़ने वाली सड़क का पिछले लगभग 25 सालों से निर्माण नहीं हुआ है सड़क के नाम पर यहां गढ्ढे ही गढ्ढे हैं, यही सड़क कई गांव वालों की मौत का कारण भी बनी हैं.