
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एवं फॉर्माकोलॉजी विभाग के तत्वाधान में विश्व रोगाणुरोधी प्रतिरोध, जागरूकता सप्ताह (18 से 24 नवंबर 2023) के अवसर पर “रोगाणुरोधी-प्रतिरोध” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जागरूकता कार्यक्रम में रोगाणुरोधी-प्रतिरोध को एक साथ रोकने के विषय पर विशेष चर्चा की गयी।
इस अवसर पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष तथा ग्लोबल एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस मीडिया एलायंस (जीएएमए) के को चेयरमेन डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग के कारण पूरी दुनिया में लगभग 50 लाख लोगों की मौत हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि अगर एंटीबायोटिक दवाओं सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाए तो बैक्टीरिया को मारने की उनकी क्षमता खत्म हो जाती है, इसे रोगाणुरोधी प्रतिरोध कहा जाता है।
डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि एएमआर तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक एंटीबायोटिक का उपयोग, अधिक उपयोग और अनुचित उपयोग एएमआर का प्रमुख कारण है। यदि बढ़ते एएमआर को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया, तो एएमआर के कारण 2050 तक वार्षिक मृत्यु दर 1 करोड़ होने का अनुमान है।
दुनिया को तत्काल एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के तरीके को बदलने की जरूरत है। भले ही नई दवाएं विकसित की जाएं, व्यवहार में बदलाव के बिना एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बड़ा खतरा बना रहेगा। एम्स, भुवनेश्वर के डीन डॉ. प्रशांत राघब महापात्र ने कहा कि हमें सामान्य सर्दी, गले में खराश आदि जैसी वायरल बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
डॉ. आरएएस कुशवाहा ने कहा कि यह सही समय है जब हमें एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग बंद करना चाहिए। डॉ. ए.के. सचान ने कहा कि हमें दूरदराज के इलाकों में आधुनिक चिकित्सा का अभ्यास करने वाले लोगों में एएमआर जागरूकता संदेश का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।