
पडरौना, कुशीनगर। मां भगवती सेवा संस्थान के द्वारा आयोजित शतचंडी महायज्ञ के अंतर्गत चल रहे श्री राम कथा के पांचवे दिन कथावाचक पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने पुष्प वाटिका प्रसंग ,धनुष भंग एवं सीता स्वयंवर की कथा सुनाई। श्री भारद्वाज ने कहा कि मनुष्य होना अपने में भाग्य है और इस शरीर को प्राप्त करने के बाद भक्ति प्राप्त करना आवश्यक है जो संतो के संगत के बिना प्राप्त नहीं हो सकती। परम ब्रह्म राम को भी सीता की भक्ति को प्राप्त करना संत स्वरूप गुरुदेव विश्वामित्र का आशीर्वाद लेकर ही संभव हो सका। उन्होंने कहा अहिल्या की कथा बुद्धि के शुद्धि की कथा है वही अहंकार समाप्त होते हैं ओमकार प्राप्त हो जाता है।
राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम परम ब्रह्म ने जब सदगुरुदेव का सहारा लिया तो भक्ति रूपी मां जगत जननी सीता प्राप्त हुई जबकि वह माया रूपी हिरण के पीछे जब गए तो भक्ति रूपी माता जगत जननी सीता का हरण हो गया। पुनः सभी शक्तियों को एकत्रित कर बुराई का अंत करने के पश्चात पुनः एक बार भक्ति की प्राप्ति हो सकी। पुष्प वाटिका प्रसंग के अंतर्गत माता गौरी पूजन के बाद श्री राम और जगत जननी सीता के मिलन से लेकर धनुष भंग एवं सीता स्वयंवर की कथा श्री भारद्वाज के द्वारा सुनाई गई।
उन्होंने श्री राम के धनुष भंग किए जाने के पूर्व गुरु के चरणों की वंदना के विशेष महत्व को बताते हुए कहा कि काम कितना भी महत्वपूर्ण हो जल्दी बाजी में नहीं बल्कि आशीर्वाद के उपरांत करना ही श्रेयस्कर होता है। उपस्थित माताओं बहनों से पारंपरिक विवाह एवं अन्य गीतों को संरक्षित करने की भी श्री भारद्वाज ने अपील की जिससे हमारी नई पीढ़ी पारंपरिक गीतों और उसके महत्व को समझ सके। इस अवसर पर मुख्य जजमान ध्रुव जायसवाल, एसएन शुक्ला ,संतोष सिंह, बबलू पाठक, आरडी प्रसाद वर्मा हर्षवर्धन राज, प्रदीप जयसवाल ,सदाशिव मणि त्रिपाठी, प्रेम जयसवाल, सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।