मशरूम की खेती कर बनें आत्मनिर्भर
- 16-18 जून तक क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केन्द्र पर प्रशिक्षण
- प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के लिए वेबसाइट पर कोई भी करा सकता है पंजीकरण
लखनऊ। क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केन्द्र की ओर से शहरी अन्चलों की महिलाओं, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न प्रकार के रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें मशरूम उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन, छत पर खेती, खाद्य प्रसंस्करण फूड सेफ्टी, न्यूट्रासिटिकल फूड प्रोडेक्ट, प्रोबायोटिक फूड, गुड़ आधारित उत्पाद, खाद्य उत्पादों में मिलावट की जाँच जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
छोटे स्तर पर प्रारम्भ कर कमाया जा सकता अधिक मुनाफा
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक डॉ. आरके. तोमर ने बताया कि मशरूम हमारे भोजन में प्रोटीन सम्बन्धी आवश्यकता को पूर्ण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मशरूम का व्यवसाय बहुत ही लाभकारी है। इसको छोटे स्तर पर प्रारम्भ कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। गृहणी की रसोई में मशरूम पहुंचाकर किस प्रकार कुपोषण को कम किया जा सकता है। डॉ. तोमर ने बताया कि 16 से 18 जून तक क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केन्द्र लखनऊ की ओर से तीन दिवसीय मशरूम उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण से रोजगार प्राप्त करने में युवतियों एवं युवकों को एक नयी दिशा प्रदान होगी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ओस्टर मशरूम, बटन मशरूम का उत्पादन किस प्रकार से किया जाता है, इसका प्रैक्टीकल डेमॉस्ट्रेशन स्वयं लाभार्थियों के माध्यम से कराया जायेगा।
मशरूम से बनते हैं विविध प्रकार के उत्पाद
क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केन्द्र के निदेशक एस के सिंह ने बताया कि सूखा हुआ मशरूम, मशरूम पाउडर, मशरूम सूप, मशरूम आचार, श्रीखण्ड, योगर्ट, कुकीज, मफिन्स, बेबी फूड, कैनिंग, मशरूम की विभिन्न सब्जियां, पुलाव, मशरूम सैनविच, मशरूम बर्गर आदि के बनाने की तकनीकी जानकारी प्रैक्टीकल डेमोस्ट्रेशन के माध्यम से लाभार्थियों को योग्य प्रशिक्षक उपलब्ध कराएंगे। इच्छुक लाभार्थी अपना पंजीकरण प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर करा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए संस्था की बेवसाइट www.rfracgov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते है अथवा मोबाइल नंबर 8090033152 पर बात कर सकते हैं।