उत्तर प्रदेशलखनऊ

सीएम सामूहिक विवाह आयोजन में सख्ती, एक बार में नहीं होंगी 100 से अधिक शादियां

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ के अंतर्गत होने वाले किसी भी आयोजन में अब 100 से अधिक शादियां नहीं हो सकेंगी। उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने यह जानकारी दी। अरुण ने साथ ही बताया कि हर विवाह का पंजीकरण अब कार्यक्रम स्थल पर ही किया जाएगा और फोटो युक्त विवाह प्रमाणपत्र भी तुरंत जारी किया जाएगा।

राज्य सरकार ने ये कदम बलिया जिले में एक सामूहिक विवाह समारोह में हुई धोखाधड़ी के हालिया मामले के मद्देनजर उठाए हैं, जहां 240 अपात्र लोगों ने ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ का लाभ प्राप्त करने के लिए अपना पंजीकरण कराया था। आरोप है कि इस कार्यक्रम के दौरान पहले से शादीशुदा लोगों की दोबारा शादी कराई गई थी।

पुलिस ने इस मामले में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों सहित 16 लोगों को गिरफ्तार किया है। पूर्व आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी अरुण ने रविवार को कहा, ‘‘अब सामान्य सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में 100 से अधिक विवाह नहीं कराए जाएंगे। अगर किसी ऐसे कार्यक्रम में कोई मंत्री या कोई अन्य विशिष्ठ अतिथि आ रहा हो और उस कार्यक्रम में जिलाधिकारी स्वयं मौजूद हों तो 100 से अधिक विवाह कराने की अनुमति प्रदान की जाएगी।”

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा हर शादी का पंजीकरण अब कार्यक्रम स्थल पर ही किया जायेगा और विवाह प्रमाणपत्र भी तुरंत जारी होगा। दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर खींची जाएगी, सभी रस्म और संस्कार पूरे होने के बाद विवाह को कम्प्यूटर पर दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक नवविवाहित जोड़ों के विवरण को डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) और आधार कार्ड से जोड़ा जायेगा।”

उन्होंने बताया कि सामूहिक विवाह में गड़बड़ियों को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर ग्राम सचिव और लेखपाल को यह पता लगाने की जिम्मेदारी दी जाएगी कि इन कार्यक्रमों में शादी करने वाला युवक या युवती पहले से विवाहित तो नहीं है। समाज कल्याण मंत्री अरुण ने कहा कि मौजूदा नियमावली के अनुसार सत्यापन की जिम्मेदारी खंड स्तर के अधिकारियों की है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश सरकार खंड स्तर से सत्यापन के बाद उनमें से एक निश्चित प्रतिशत मामलों का जिलाधिकारी कार्यालय और उप निदेशक समाज कल्याण से फिर से सत्यापन कराने पर भी विचार कर रही है।’’ बलिया जिले में 25 जनवरी को आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में गड़बड़ी का मामला नौ फरवरी को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी गूंजा। समाजवादी पार्टी के लाल जी वर्मा ने यह मामला सदन में उठाया। मंत्री ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि इस योजना का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर घर की बेटी का विवाह धूमधाम से हो।

अरुण ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ‘‘भ्रष्ट लोगों से प्रभावी ढंग से निपटने’’ के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘बलिया के मामले में तीन अधिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हर भ्रष्टाचारी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी, भले ही वह अधिकारी हो या कोई दलाल।” अरुण ने कहा, ”जहां एक तरफ चोर को पकड़ा गया हैं, वहीं ताले (संपूर्ण व्यवस्था) को भी मजबूत किया गया हैं ।”

समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने कहा, ”सामूहिक विवाह योजना के तहत हर साल हजारों जोड़ों की शादियां हो रही थीं और कहीं से किसी गड़बड़ी की बात सामने नहीं आयी थी, लेकिन बलिया में ऐसी गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद अब विभाग प्रत्येक जनपद में होने वाले ऐसे आयोजनों की बहुत बारीकी से जांच-पड़ताल कर रहा हैं। हर मामले की कई स्तर पर जांच और गहन पड़ताल किए जाने की व्यवस्था की गयी हैं।’’

बलिया में 25 जनवरी को एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान करीब 537 शादियां हुई थीं जिनमें से 240 शादियों में गड़बड़ियां पायी गयी थीं। इस मामले में अभी तक 16 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी हैं और समाज कल्याण विभाग समेत विभिन्न विभागों के पांच सरकारी कर्मियों को निलंबित भी किया जा चुका हैं।

समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, समाज कल्याण विभाग द्वारा समाज में सर्वधर्म समभाव और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना चलाई जा रही है। योजना को शुरू करने के वर्ष 2017-18 से वित्त वर्ष 2022-23 तक कुल 2,77,292 सामूहिक विवाह कराए गए हैं, जिसमें अल्पसंख्यक वर्ग के 27,782, अन्य पिछड़ा वर्ग के 78,300, अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के 1,50,357 एवं सामान्य वर्ग के 10,353 जोड़े शामिल हैं।

पिछले वर्ष 2022-2023 में 1,00,874 विवाह संपन्न करवाए गए। इस वर्ष अभी तक 66,673 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया है। इस वर्ष करीब एक लाख 10 हजार शादियों का लक्ष्य रखा गया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत विवाह करने वाली महिला के खाते में 35,000 रुपये सहायता राशि भेजी जाती है।

विवाह संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कपड़े, बिछिया, पायल, बर्तन आदि पर 10 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं। कार्यक्रम आयोजन के दौरान भोजन, पंडाल, फर्नीचर, पेयजल, रोशनी की व्यवस्था एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं हेतु 6,000 रुपए प्रति जोड़ा व्यय किया जाता है। एक जोड़े के विवाह पर कुल 51,000 रुपए व्ययभार आता है।

अरुण ने कहा कि बलिया मामले में फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने के बाद ‘‘हमने व्यवस्था कड़ी कर दी हैं लेकिन किसी भी जनपद में ऐसे कार्यक्रमों पर किसी तरह की रोक नहीं लगायी है। अब गहन जांच-पड़ताल और कड़ी निगरानी में ही ऐसे सामूहिक विवाह के आयोजन कराए जा रहे हैं।

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