
बिलकुल! यहां पर आपको कुछ और पैराग्राफ मिलते हैं, जो मूल खबर के विस्तार, पृष्ठभूमि और सरकार की नीति को स्पष्ट करते हैं:
पैरा 1:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि खनन क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने डिजिटल प्रणाली को अपनाया है। अब खनन पट्टों का आवंटन, रॉयल्टी भुगतान और निगरानी की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है। इससे न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है बल्कि राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।
CM योगी ने बताया कि अवैध खनन में संलिप्त लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है। हाल के महीनों में कई जिलों में छापेमारी कर भारी मात्रा में अवैध खनन सामग्री जब्त की गई है और संबंधित दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया है।
प्रदेश सरकार ने खनन क्षेत्रों में जीपीएस आधारित निगरानी, ड्रोन सर्वे और रियल-टाइम रिपोर्टिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को भी शामिल किया है। इसका उद्देश्य यह है कि अवैध खनन की कोई भी गतिविधि छुप न सके और समय रहते कार्रवाई की जा सके।खनन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे नियमित रूप से निरीक्षण करें और स्थानीय स्तर पर शिकायतों को गंभीरता से लें। साथ ही, आम जनता को भी इसके खिलाफ जागरूक किया जा रहा है ताकि वे किसी भी अनियमितता की जानकारी समय पर प्रशासन को दे सकें।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश अब अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन चुका है, जहां पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीक के माध्यम से नीतियों को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। सरकार का उद्देश्य है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग ईमानदारी और स्थिरता के साथ हो।