
बहराइच। लगभग 65 आपराधिक मुकदमों के अपराधी व बहराइच जिला जेल से स्थानांतरित किए गए देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ गब्बर सिंह व डा० डी.के. सिंह भूमि प्रकरण जांच कर्मियों की नकायाबियों के कारण एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। मालूम हो कि जिले के प्रतिष्ठित व चर्चित रहे डॉक्टर दिनेश सिंह द्वारा पूर्व में अपने बयान में साफ लिखा गया था कि माफिया देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ गब्बर सिंह ने अपने गुर्गों के साथ जबरिया बलपूर्वक उनकी रायपुर राजा स्थित बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर लिया था। जिसके जेल जाने के बाद किसी तरह से एफआईआर तो लिखवा दी गई लेकिन अब तक उन्हें उनकी जमीन हासिल नहीं हो सकी है। जिस पर पिछले 10 वर्षों से गब्बर ने कब्जा कर रखा है।
उनका कहना था कि उनकी जमीन को बेचने भी नहीं दी जा रही है।उनका साफ कहना था कि पूर्व में गब्बर व उनके साथियों के ऊपर गैंगस्टर एक्ट में 14(ए) की जो कार्यवाही की गई वह सिर्फ दिखावा था।उनका कहना था कि अवैध तरीके से मेरे जमीन के हिस्से व रास्ते पर हुवे अवैध निर्माण पर ध्वस्तीकरण करण की कार्यवाही नही की गई।उक्त माफिया पर प्रशासन से साठगांठ करने का भी आरोप लगाया गया था।लेकिन पिछली जांच से असंतुष्ट श्री सिंह द्वारा जब उच्चाधिकार्यों की चौखट पर अपनी पीड़ा को पुनः दर्शाया गया तो न सिर्फ पुनः जांच के आदेश दिए गए बल्कि रिपोर्ट में की गई मनमानी के कारण एक पुलिस अधिकारी को भी सस्पेंड होना पड़ा था।
उक्त प्रकरण में जब डॉक्टर डी.के. सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त प्रकरण में हुई गलतियों का संज्ञान लेते हुवे उच्चाधिकारियों व एसडीएम कोर्ट के समक्ष एक बार फिर मेरे द्वारा अपनी समस्या को रक्खा गया था। जिसमें नए सिरे से जांच के आदेश दे दिए गए। कानून के आदेश का हमें इंतजार है। लेकिन जब उक्त प्रकरण को लेकर लेखपाल महेंद्र मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया जांच की जा रही है जिसमें उक्त भूमि के साढ़े तीन फुट हिस्से पर अवैध कब्जा पाया जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कोई सड़क का भी विवाद है तो कहा बैनामे में सड़क दर्शाया गया है,लेकिन मौके पर वो नहीं है। जब श्री मिश्रा से पूछा गया कि क्या जांच रिपोर्ट आपके द्वारा संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई है तो कहा बैनामे की पैमाईश के अनुसार जो भी मामले सामने आए हैं जल्द ही उचाचाधिकारियो को सौंप दिया जाएगा। फिलहाल मामला जो भी हो लेकिन श्री सिंह की संपत्ति पर हुवे अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के लिए जांच रिपोर्ट व अधिकारियों के आदेश का इंतजार अभी करना होगा।