
लखनऊ : गर्मी का प्रकोप बढ़ने से लोग डायरिया की चपेट में आने लगे है। इनमें बच्चों की संख्या अधिक है। शहर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में रोजाना करीब 100 से अधिक मरीज उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। राहत की बात यह है कि भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम है। गंभीर हालत में ही उन्हें भर्ती करना पड़ रहा। सामान्य मरीजों को दवा देकर भेजा जा रहा। साथ ही चिकित्सक उन्हें गर्मी से बचाव को लेकर जागरूक भी कर रहे हैं। इसके आलावा त्वचा के रोगी भी बढ़े हैं। जिन्हें चिकित्सक धूप से बचाव को लेकर जागरूक कर रहें हैं।
बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में बीते कुछ दिनों से डायरिया के मरीजों के बढ़ने का सिलसिला तेज हुआ है। सोमवार को को अलग-अलग इलाकों से डायरिया के लक्षण वाले 25 मरीज आए। इनमें से 7 मरीजों को भर्ती करना पड़ा। अन्य को दवा देकर घर भेज दिया गया। गर्मी से बचाव के सुझाव दिए गए। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु के मुताबिक, कुछ मरीज डायरिया की शिकायत लेकर आ रहे हैं। बताया गर्मी व गलत खानपान लोगों को बीमार बना रहा है।
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने बताया इमरजेंसी में सोमवार को करीब 40 मरीज उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर आए थे। इसमें दो की हालत खराब होने पर भर्ती किया गया। बाकी को प्राथमिक उपचार देकर घर भेज दिया गया। लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर के मुताबिक रोजाना करीब एक दर्जन मरीज डायरिया की शिकायत लेकर भर्ती हो रहे हैं।
इसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हैं। ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया हर दिन औसतन 10-12 मरीज डायरिया के आ रहे हैं। इनमें से चार-पांच मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। उधर, बीकेटी के रामसागर मिश्र अस्पताल के सीएमएस डॉ. वीके शर्मा ने बताया कुछ दिनों से उल्टी दस्त के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
हालांकि, भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम है। इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक चिकित्सक लोगों को गर्मी से होने वाली बीमारियों के बचाव को लेकर जागरूक कर रहें है। इसके अलावा महानगर के भाऊराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय, राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय और चंदरनगर 50 बेड संयुक्त चिकित्सालय सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी गर्मी के प्रभाव वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है।
अस्पतालों में कोल्ड रूम तैयार
गर्मी और हीट वेव के चलते स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। गर्मी से बचाव के लिए अस्पतालों में कोल्ड रूम बनाए गए हैं। अस्पतालों से लेकर सीएचसी और पीएचसी पर इलाज के इंतजाम किये गए हैं। बलरामपुर, सिविल और लोक बंधु अस्पताल में 10-10 बेड आरक्षित किये गए हैं। कोल्ड रूम, कोल्ड पैक, ओआरएस के पैकेट, शुद्ध ठंडा पेयजल के इंतजाम किये गए हैं। इसके अलावा शहर के दूसरे अस्पतालों और सीएचसी व पीएचसी पर गर्मी से बचाव को लेकर रोगियों के लिए दवाएं एवं अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं।
ये है लक्षण
- – पेट में मरोड़
- – लगातार उल्टी-दस्त होना
- – अत्यधिक मतली आना
- – पेट में दर्द और सूजन होना
- – शरीर में पानी की कमी होना
- – बार-बार बुखार आना
- – मल के साथ खून आना
- – बदहजमी की शिकायत होना
- – भूख में कमी आना
- – सिर दर्द, मुंह सूखना और कमजोरी।
- गर्मी में इन बातों का रखें ख्याल
- – बाहर निकलने से पहले अच्छे से पानी पीकर निकले और खाना खाकर निकलें।
- – धूप से बचने के लिए मुंह हाथ कवर करके चलें।
- – गर्मियों में सूती कपड़े पहनें।
- – रोजाना चार से पांच लीटर पानी जरूर पिएं।
- – मौसमीय सब्जियों का सेवन करें।
- – गन्ने का रस, नारियल पानी और फलों का जूस का सेवन करें।
डॉक्टरों की सलाह छाता और टोपी को बनाएं लाइफस्टाइल
बलरामपुर अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएच उस्मानी ने बताया कि गर्मियों की शुरुआत होते ही लोगों को तमाम त्वचा से संबंधित दिक्कतें होने लगती है। इस समय तेज धूप पड़ रही है। लिहाजा सनबर्न, फफोले और घमोरियों सहित अन्य चर्म के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। ओपीडी में रोजाना 15 से 20 मरीज सनबर्न की शिकायत वाले आ रहे हैं। मेडिकल भाषा मे इसे पोलिमार्फिक लाइट इरेक्शन (पीएलई) कहते हैं। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक है।
क्योंकि महिलाओं की संख्या कोमल होती है। कई महिलाएं सनबर्न से बचाव को लेकर सुझाव लेने के लिए आ रही हैं। डॉ.एमएच उस्मानी ने बताया कि सनबर्न से सबसे अच्छा बचाव छाता से किया जा सकता है। महिलाओं को इसे लाइफस्टाइल बनाना चाहिए। यदि छाता का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं तो कम से कम दुपट्टे से चेहरे को ढककर जरूर रखे। पुरुष सनबर्न से बचाव के लिए लंबी सेड वाली टोपी का इस्तेमाल करें।
सनस्क्रीन क्रीम लगाने का ये है सही तरीका
डॉ. उस्मानी ने बताया ज्यादातर महिलाएं सनबर्न से बचाव के लिए सनस्क्रीम क्रीम का इस्तेमाल तो करती हैं। लेकिन इसके इस्तेमाल का सही तरीका पता न होने से दिक्कत का सामना करना पड़ता है। डॉ. उस्मानी के मुताबिक सनस्क्रीन क्रीम को बाहर निकलने से करीब 15 मिनट पहले लगाना चाहिए। इसका असर भी महज 4 से 5 घंटे तक रहता है। इसके बाद क्रीम को पूरी तरह से धुलकर दोबारा से लगाना चाहिए।
या फिर दिन में सुबह 7 बजे दोपहर 12 बजे और शाम 3 बजे क्रीम लगाने की आदत डालें। डॉ. उस्मानी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सन प्रोटेक्शन फैक्टर (एसपीएफ-30) क्रीम उपयुक्त है। लेकिन यदि ज्यादा रेडिएशन की जगहों पर जा रहे हैं, जैसे कश्मीर के श्रीनगर, गोवा, कुल्लू मनाली आदि जगहों के लिए क्रीम एसपीएफ-50 को ही इस्तेमाल करना चाहिए।
चाहे जितनी भी हो गर्मी, छह माह तक शिशु को न दें पानी
यदि आप भी नवजात को इस भीषण गर्मी में पानी पिलाने के बारे में सोंच रहें है तो ऐसा कताई न करें, यह बच्चे की सेहत बिगाड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है छह माह तक के नवजात को सिर्फ मां का दूध ही पर्याप्त है। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान का कहना है कि छह माह तक के शिशु को किसी भी मौसम में पानी की जरूरत नहीं होती। मां का दूध ही शिशु के लिए पर्याप्त होता है क्योंकि उसमें लगभग 90 प्रतिशत पानी के साथ-साथ सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और उसे संक्रमणों से सुरक्षित रखते हैं। यह आसानी से पचने वाला और पूर्ण आहार है।
डॉ. सलमान के मुताबिक यदि शिशु को दस्त हो रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह पर ओआरएस दिया जा सकता है, लेकिन पानी या अन्य पेय बिल्कुल नहीं देना है।
छह माह तक के शिशु को यह न दें
- गाय, भैंस या बकरी का दूध
- पाउडर/डिब्बा बंद दूध
- पैक्ड/डिब्बा बंद जूस या कोई अन्य तरल
- पानी देने से हो सकती हैं ये स्वास्थ्य समस्याएं
- यदि पानी दूषित है तो शिशु को डायरिया, पीलिया या अन्य जलजनित संक्रमण हो सकते हैं।
- इससे बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ सकती है।
- छह माह तक के शिशु का पेट बहुत छोटा होता है। यदि पेट पानी से भर जाएगा, तो वह दूध नहीं पीएगा जिससे पोषण की कमी हो सकती है।
- पानी देने से रक्त में सोडियम की मात्रा कम हो सकती है, जिससे सोडियम असंतुलन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो जानलेवा भी हो सकती हैं।
- अतः छह माह तक शिशु के लिए मां का दूध ही सबसे सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त आहार है। चाहे मौसम कैसा भी हो, पानी देने की जरूरत नहीं होती।
लू से बचाएंगी होम्योपैथी की दवाएं
होम्योपैथ चिकित्सक प्रो डॉ अर्चना श्रीवास्तव का कहना है गर्मियों में हीट स्ट्रोक होना बहुत ही आम होता है। जिसमें शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो जाता है और व्यक्ति को तेज सिर दर्द उल्टी मिचली आना कमजोरी थकान रहना हृदय गति तेज हो सकती है, बेहोश भी हो सकता है।
होम्योपैथी में कुछ दवाइयां ऐसी हैं जो आपको गर्म लू एवं हीट स्ट्रोक से बचाकर रख सकती हैं जैसे की ग्लोनाइन और जेल्सीमियम जैसी दवाएं उपलब्ध हैं। ग्लोनाइन-30 की पांच बूंदे एक कप पानी में मिलाकर धूप में निकलने के पहले लेने से गरम लू और हीट स्ट्रोक की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।